बिगड़ैल तो बेटियां भी हैं

By: Nov 16th, 2017 12:03 am

(जीडी शर्मा, छत्तर, नूरपुर )

संस्कारों का सूखा सिर्फ बेटों में ही नहीं, बल्कि बेटियों में भी देखने को मिल जाता है। बेशक इनकी संख्या समाज में थोड़ी ही है, लेकिन फिर भी कई बेटियां ऐसी मिल जाएंगी, जो सामाजिक या पारिवारिक मर्यादाओं को लांघकर कदाचार में लिप्त हो जाती हैं। हैरानी यह कि कई मामलों में तो इनके परिवार की भी इन्हें शह प्राप्त होती है। शादी के बाद ससुराल पक्ष पर दहेज प्रताड़ना या हिंसा के जो चुनिंदा मामले सामने आते हैं, वे इन्हीं के द्वारा अंजाम दिए जाते हैं। समाज को यदि ऐसी विद्रूपता से बचाना है, तो बेटों के साथ-साथ इन बेटियों की परवरिश पर भी ध्यान देना होगा।


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