बिन किसान, कैसा विकास
(अंकित कुंवर, नई दिल्ली )
‘किसान पर भी तो बरसें चुनावी घटाएं’ शीर्षक से लिखे लेख में कर्म सिंह ठाकुर ने राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्रों अथवा भाषणों में किसानों के उल्लेख को महत्त्वपूर्ण बताया है। विधानसभा चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों की जुबान से किसानों के लिए हितकारी बातें अन्य मुद्दों के समक्ष ओझल हो जाती हैं। यद्यपि प्रदेश के आर्थिक विकास में किसानों का दस फीसदी योगदान तथा उनकी मेहनत इस चुनाव में किसी राजनीतिक दल की प्राथमिकता भले ही न हो, परंतु उनकी महत्ता प्रदेश में सराहनीय है। यह चिंताजनक स्थिति है कि चुनावी माहौल में प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों की प्रथामिकता मुख्यतः प्रदेश का विकास है, परंतु विकास का यह लक्ष्य किसानों के बिना अधूरा है। आवश्यकता है कि राजनीतिक दल किसानों के हितों को अपनी प्राथमिकता प्रदान करें और उस पर अमल करें। केवल उसी स्थिति में नेता किसान के मन में जगह बना पाएंगे।
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