भारत की आर्थिक छलांग !

By: Nov 3rd, 2017 12:02 am

अर्थव्यवस्था, आर्थिक सुधार और कारोबार करने की आसानी आदि के मद्देनजर अब भारत का विश्व में 100वां स्थान है। 2015 और 2016 में 190 देशों में से भारत 130वें स्थान पर था। 2014 में जब मोदी सरकार आई, तब भी भारत 142वें स्थान पर था। लिहाजा एक ही अर्थवर्ष के दौरान 30 स्थानों की छलांग एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। यह आकलन विश्व बैंक का है। ढांचागत सुधार करने वाले देशों में अकेला भारत ही है। दुनिया में जिन पहले 10 देशों ने आर्थिक और अन्य संबद्ध सुधार किए हैं, भारत उनमें भी शामिल है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के मुताबिक, अब भारत ‘शानदार अर्थव्यवस्था’ का देश है, जबकि कुछ साल पहले आईएमएफ और विश्व बैंक ने ही चेताया था कि भारत, ब्राजील, इंडोनेशिया, तुर्की और साउथ अफ्रीका नाकाम देश हैं, लिहाजा वहां निवेश न करें। आज विश्व बैंक का प्रमाण पत्र हमारी मेहनत, अर्थनीति, प्रगति की पुष्टि कर रहा है। हमने यह उपलब्धि तमाम आशंकाओं के बीच हासिल की है। अभी कुछ समय पहले तक कारोबार की आसानी के संदर्भ में दुनिया के शीर्ष 100 देशों की सूची में आना भी एक सपने की तरह था, लेकिन इस उपलब्धि के बाद हमारे प्रधानमंत्री मोदी और अर्थशास्त्री पहले 50 देशों में शामिल होने का लक्ष्य तय करने लगे हैं। लेकिन विपक्ष के कथित साझा चेहरा एवं कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी विश्व बैंक के इस प्रमाण पत्र को नहीं मानते। उनके मुताबिक, देश की जनता का सर्टिफिकेट होना चाहिए। बेशक लोकतंत्र में वह पहली और बुनियादी शर्त है कि राजनीतिक दलों को जनादेश के तौर पर लोगों का प्रमाण पत्र हासिल करना अनिवार्य है। मोदी सरकार और भाजपा को ऐसे प्रमाण पत्र हासिल हैं, तभी तो वे सत्ता में बैठ कर आर्थिक सुधार कर रहे हैं। नतीजतन भारत अधम हालात से उबर कर 100वें स्थान तक पहुंचा है। यह किसी भी देश को राहत देने वाली उपलब्धि है। दरअसल इस साल अभी तक मोदी सरकार 122 सुधारों को लागू कर चुकी है और साल के अंत तक 90 और सुधारों को लागू करने का लक्ष्य है। कारोबार की आसानी को और भी बढ़ाने के मद्देनजर भारत सरकार विश्व बैंक के साथ मिल कर 200 से ज्यादा सुधारों पर काम कर रही है, ताकि शीर्ष 50 देशों में स्थान हासिल किया जा सके। कोयला, उर्वरक, प्राकृतिक गैस, कच्चा तेल, इस्पात और सीमेंट आदि आठ प्रमुख क्षेत्रों की स्थिति बेहतर है। बाजार 33,600 के सेंसेक्स की रिकार्ड बढ़त पर है। बाजार में तेजी से निवेशकों ने 1.09 लाख करोड़ रुपए कमाए हैं। लेकिन हमारी कुछ बुनियादी समस्याएं हैं, जो राजनीतिक मुद्दा भी बनी हैं। फिलहाल जीएसटी, नोटबंदी, बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं को एक तरफ रखना पड़ेगा, क्योंकि यह अर्थव्यवस्था का सवाल है। यह रपट विश्व बैंक की है, जिसके आधार पर कांग्रेस की सरकारें आर्थिक उदारीकरण के अभियान चलाती रही हैं। कांग्रेस और वामदल इस रपट को न मानें, लेकिन दुनिया की अर्थव्यवस्था का मानक आधार यही है। पूर्व केंद्रीय आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास का कहना है कि कारोबार में आसानी का निवेश और आर्थिक विकास से सीधा संबंध है। आने वाले दिनों में निजी निवेश और रोजगार में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। पूर्व वित्त सचिव अशोक लवासा का दावा है कि भारत 50वें स्थान तक छलांग लगाने में सक्षम हो गया है। विश्व बैंक ने यह रपट मुंबई और दिल्ली की आर्थिक गतिविधियों के आधार पर तैयार की है, लेकिन इन महानगरों के पास ओडिशा, बंगाल, पूर्वोत्तर राज्य भी हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था इतनी अच्छी नहीं है। भारत की समस्याएं अत्यंत जटिल हैं और आबादी भी विविध है। यदि इस रपट के बाद समूचे देश को राहत पहुंचने लगती है, तो वाकई उपलब्धि मानी जाएगी, लेकिन 100वें स्थान तक की छलांग भी कम कामयाबी नहीं है। इस रपट के जरिए दुनिया भर के कारोबार इस तरह से देखना शुरू करेंगे कि भारत की व्यवस्था में पारदर्शिता आई है। कर व्यवस्था सरल हुई है। बैंकों से कर्ज मिलना आसान हुआ है। विश्व बैंक का मानना है कि अब निर्माण की मंजूरी भी आसानी से मिलती है। निवेश हासिल करना भी पहले की तरह कठिन नहीं रहा। साथ ही दिवालिया निपटान के कानून ने भी भारत में निवेश की कई आशंकाओं को कम कर दिया है। हालांकि भूमि सुधार और परिसंपत्तियों के पंजीकरण, ठेकेदारी को बेहतर ढंग से लागू करने, व्यावसायिक अदालतों की जरूरत, ई-गवर्नेंस में और सुधार लाने, पेंटेंट समेत बौद्धिक संपदा अधिकार कानून में सुधार लाने पर कई काम किए जाने शेष हैं। फिर भी विश्व बैंक की इस रपट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।


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