मतदान आज…प्रत्याशियों की साख दांव पर

By: Nov 9th, 2017 12:05 am

ऊना —  हिमाचल प्रदेश विस चुनावों के लिए नौ नवंबर गुरुवार को मतदान के लिए सभी तैयारियां पूरी हो गई है। प्रदेश में सत्ता हासिल करने के लिए यहां भाजपा व कांग्रेस ने पूरी ताकत लगा दी है। वहीं, जिला ऊना में भी भाजपा व कांग्रेस के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। जिला ऊना की पांच विस सीटों पर भाजपा, कांग्रेस, बसपा के प्रत्याशियों सहित कुल 22 प्रत्याशी मैदान में है। जिला के पांचों विस क्षेत्रों में भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है, जबकि ऊना, हरोली व कुटलैहड़ में आजाद प्रत्याशी भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के प्रयास में है। जिला में भाजपा व कांग्रेस से चार मौजूदा विधायक जीत का चौका लगाने को आतुर है, जबकि कुलदीप कुमार पांचवीं दफा जीत का स्वाद चखने को बेताव है। हालांकि इस बार पांचों विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में प्रतिद्वंदी प्रत्याशियों से कांटे की टक्कर मिल रही है। वीरभद्र सरकार में ताकतवार मंत्री रहे मुकेश अग्निहोत्री की प्रतिष्ठा चुनावों में दांव पर लगी है। मुकेश अग्निहोत्री को हरोली विस क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रामकुमार कड़ी टक्कर दे रहे है। वहीं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव रहे राकेश कालिया का भी भविष्य दाव पर है। उनका मुकाबला इस बार भाजपा के नए चेहरे राजेश ठाकुर से है। यहां पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। वेटर्न लीडर कुलदीप कुमार की साख भी चुनावों में दांव पर लगी है। उनके विरुद्ध भाजपा के पुराने प्रतिद्वंदी व पूर्व विधायक बलवीर चौधरी मैदान में है। यहां पर कांटे का मुकाबला है। वहीं, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती इस बार भी जीत का चौका लगाने के लिए ऊना सदर विस क्षेत्र से मैदान में है, लेकिन उनको इस दफा पुराने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल रायजादा से कड़ी चुनौती मिल रही है। यहां पर आजाद प्रत्याशी के रूप में राजीव गौतम भी मैदान में है। कुटलैहड़ विस क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी विरेंद्र कंवर चौथी दफा चुनावी मैदान में है। उनके सामने कांग्रेस के नए प्रत्याशी विवेक शर्मा है। यहां पर भी रोचक जंग के आसार है। आजाद प्रत्याशी भी इस विस क्षेत्र में हाथ आजमा रहे है। भाजपा व कांग्रेस के लिए इन चुनावों में यहां अपने दुर्ग बचाने  का दारोमदार रहेगा,वहीं एक-दूसरे से बढ़त लेने के लिए भी कड़ी टक्कर रहेगी। जिला ऊना में 1985 के बाद से अभी तक कोई भी राजनीतिक दल विधानसभा चुनावों में सभी पांचो विस सीटों पर एक साथ जीत दर्ज नहीं कर पाया है। 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के उपरांत उपजी सहानुभूति लहर के चलते ऊना जिला की पांचों विस सीटो पर कांग्रेस ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी। इसके उपरांत 1990 में देश में चली भगवा लहर में ऊना भी रम गया तथा भाजपा ने चार विस क्षेत्रों पर जीत दर्ज की, जबकि कुटलैहड़ विस क्षेत्र से भाजपा के सहयोगी जनता दल प्रत्याशी ठाकुर रंजीत सिंह ने जीत दर्ज की थी। 1993 के विस चुनावों में कांग्रेस ने चार सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं भाजपा ने कुटलैहड़ विस क्षेत्र में जीत दर्ज की। 1998 के विस चुनावों में भाजपा ने जिला की पांच विस सीटों में से संतोषगढ़, चिंतपूर्णी व कुटलैहड़ में जीत दर्ज की तथा प्रदेश में सरकार बनाई, जबकि कांग्रेस ने ऊना व गगरेट में जीत दर्ज की। 2003 के विस चुनावों में कांग्रेस ने एक बार फिर जिला में बढ़त लेते हुए संतोषगढ़, गगरेट व चिंतपूर्णी में जीत दर्ज करते हुए प्रदेश में सरकार बनाई, जबकि भाजपा ने ऊना व कुटलैहड़ विस क्षेत्रों में जीत दर्ज की थी। 2007 में भाजपा ने ऊना, कुटलैहड़ व गगरेट में जीत दर्ज की, जबकि हरोली व चिंतपूर्णी में कांग्रेस के पक्ष में गया।


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