रैगिंग रोकने के लिए फिल्म बनाएं कालेज

By: Nov 3rd, 2017 12:01 am

शिमला  – शिक्षण संस्थानों में छात्रों को रैगिंग को लेकर जागरूक करने के लिए एचपीयू सहित सरकारी और निजी कालेज, जो विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं, रैगिंग पर जागरूक करने वाली फिल्में बनाएंगे। यूजीसी ने रैगिंग रोकने और छात्रों को इसके लिए जागरूक करने के लिए शिक्षण संस्थानों को फिल्में बनाने के निर्देश दिए हैं। इन्हीं निर्देशों के तहत एचपीयू भी इस पहल का हिस्सा बनने जा रहा है। एचपीयू के कुलसचिव प्रो. एसएस नारटा ने एचपीयू के विभागों के सभी डीन, चैयरपर्सन सहित विवि से संबद्ध सभी सरकारी और निजी संस्थानों को ये निर्देश जारी किए हैं कि आयोग के निर्देशों के तहत नेशनल यूनिवर्सिटी फिल्म मेकिंग प्रतियोगिता के लिए फिल्में बनाई जाएं। ये फिल्में बनाने में संस्थान के छात्र भी शामिल होंगे। शिक्षण संस्थानों द्वारा बनाई जाने वाली फिल्मों में से बेहतर फिल्मों का चयन कर यूजीसी की ओर से उन्हें पुरस्कार भी दिया जाएगा। शिक्षण संस्थानों में बार-बार सामने आने वाली रैगिंग की घटनाएं यूजीसी के लिए बड़ी समस्या बनी हुई हैं। कुछ समय से आयोग जहां रैगिंग नियमों में बदलाव कर इस दिशा में सख्त कदम उठा रहा है, तो वहीं विश्वविद्यालयों और कालेजों को भी छात्रों को जागरूक करने के निर्देश देता रहता है। अब इस नई योजना के तहत सभी संस्थान छात्रों और फैकल्टी की मदद लेकर रैगिंग पर जागरूक करने वाली फिल्में बनाएंगे। राष्ट्रीय विश्वविद्यालय फिल्म निर्माण प्रतियोगिता में एक विश्वविद्यालय से तीन फिल्में ही चयनित होंगी। सभी संस्थानों की फिल्मों में से तीन सबसे बेहतरीन फिल्मों का चयन राष्ट्रीय स्तर पर होगा और इन्हीं में से पहले, दूसरे, तीसरे स्थान के लिए फिल्म चुनी जाएंगी। एक्सपर्ट कमेटी की ओर से बेस्ट फिल्में चुनी जाएंगी। तीन बेहतरीन फिल्मों में से पहला स्थान पाने वाली फिल्म को पांच, दूसरी को तीन और तीसरे स्थान पर चुनी जाने वाली फिल्म को दो लाख रुपए पुरस्कार स्वरूप दिए जाएंगे। पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर चुनी जाने वाली फिल्में यूजीसी वेबसाइट पर अपलोड करेगी। इसका क्रेडिट फिल्म मेकर को भी दिया जाएगा। अब संस्थानों के पास भी यह बेहतर अवसर है कि वे रैगिंग पर जागरूक करने वाली फिल्में बनाकर लाखों रुपए जीत सकते हैं।

डाक्यूमेंट्री-फीचर फिल्म 30 तक भेजें

विश्वविद्यालय और कालेजों को रैगिंग पर जागरूक करने वाली तीन फिल्में डाक्यूमेंट्री या फीचर फिल्म के रूप में बनाकर पेन ड्राइव या डीवीडी के माध्यम से यूजीसी को भेजनी होंगी। इस प्रक्रिया के लिए संस्थानों को 30 नवंबर तक का समय दिया गया है।


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