शहर में भारी पड़ेगी गुटबाजी

By: Nov 29th, 2017 12:08 am

शिमला — शिमला शहर में कांग्रेस को अपनों ने जो घाव दिया उससे पार्टी के नेता उबर नहीं पा रहे हैं। इस घाव पर मरहम अब नहीं लगाया जा सकता क्योंकि ईवीएम में प्रत्याशियों का भाग्य कैद हो चुका है। ऐसे में अब मंथन का दौर चल रहा है, जिस पर मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक में चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने की, जिसमें सभी जिलों के अध्यक्ष पहुंचे थे। शिमला शहर में कांग्रेस की क्या स्थिति है इस पर शहरी अध्यक्ष को बताने को कहा गया, जिन्होंने साफ तौर पर यह तो नहीं कहा कि शिमला शहर में कांग्रेस प्रत्याशी के हारने का अनुमान है परंतु इतना जरूर कहा कि अपनों ने जो घाव दिए उससे उबर पाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को गुटबाजी की बीमारी है, जिससे इस चुनाव में भी वह उबर नहीं सकी। सत्ता सुख भोगने वाले बाद में संगठन का ही नुकसान करते हैं। जैसा पहले भी होता आया है और इस दफा भी हुआ। उनका कहना था कि शिमला में  कांग्रेस के प्रति माहौल था। उन्होंने आरोप लगाया कि निर्दलीय  उम्मीदवार हरीश जनारथा जोकि पहले  कांग्रेस में थे, ने धन बल का जम कर प्रयोग किया। उन पर मत विभाजन का आरोप लगाते हुए प्रदीप सिंह बोले निर्दलीय उम्मीदवार ने कांग्रेस के वोट को तोड़ा है, जिसका सीधा नुकसान पार्टी को हुआ। चुनाव में विरोधियों ने कई मुद्दे उठाए, लेकिन काम नहीं कर पाए। ऐसे में उन मुद्दों की समीक्षा होनी चाहिए, जिन्हें चुनाव में उठाया गया है। उन्होंने कहा कि शहर में माफियाराज का एक बड़ा मुद्दा था, जिस पर चिंतन होना चाहिए। उन्होंने संगठन के फोरम पर पार्टी नेताओं से कहा कि भीतरघात जैसे आंतरिक मामलों पर ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि भविष्य में भी चुनाव लड़ना है। ऐसे मामले लगातार सामने आते रहे तो संगठन कहीं नहीं रहेगा। उन्होंने शिमला जिला में छह सीटों पर जीत का दावा जताया। शिमला शहर में कांग्रेस की गुटबाजी काफी पहले से चल रही है। यहां गुटबाजी भी एक बड़ा कारण है कि कांग्रेस नगर निगम में भी प्रदर्शन नहीं कर पाई और अब विधानसभा चुनाव में भी उसे गुटबाजी से ही खतरा है। शहर में कौन जीतेगा यह पता  18 दिसंबर को ही लगेगा।


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