सुलह करवाने अयोध्या पहुंचे श्रीश्री

By: Nov 17th, 2017 12:03 am

संतों में मचा घमासान; रविशंकर ने कहा, मैं यहां किसी एजेंडा के साथ नहीं आया

अयोध्या— अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर मध्यस्थता की कोशिश करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर गुरुवार को अयोध्या पहुंच गए। श्रीश्री की इस कोशिश के बीच संत समाज में घमासान मचा हुआ है। निर्मोही अखाड़े ने जहां विश्व हिंदू परिषद पर राम मंदिर के नाम पर घोटाला करने का आरोप लगाया है, वहीं राम मंदिर आंदोलन से प्रमुखता से जुड़े रहे राम विलास वेदांती ने श्रीश्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उधर, राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद को शांतिपूर्वक हल करने के लिए गुरुवार को अयोध्या पहुंचे आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर ने हिंदू संतों से मुलाकात की। अयोध्या में पहली मुलाकात के बाद श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि बातचीत सकारात्मक रही। यह एक लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया है, किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने के लिए कुछ महीने लग सकते हैं। हालांकि बहुत ही सकारात्मक संकेत मिले हैं। लोग इस हालात से बाहर आना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं यहां कोई एजेंडा के साथ नहीं आया हूं। मैं हर किसी को सुनूंगा। हम दोनों समुदाय को दोस्त की तरह देखना चाहते हैं। आगे जाने के लिए बातचीत ही एक मात्र रास्ता है। किसी निष्कर्ष पहुंचना जल्दबाजी है। सभी निवेदन है कि इसके कुछ वक्त दें। उन्होंने मणिराम दास जी की छावनी के महंत नृत्य गोपालदास से करीब 15 मिनट तक बंद कमरे में मुलाकात की। इसी बीच, निर्मोही अखाड़े के सदस्य सीताराम ने आरोप लगाया कि बीएचपी ने राम मंदिर के नाम पर 1400 करोड़ का घोटाला किया है। उन्होंने कहा कि 1400 करोड़ रुपया खा गए बीएचपी के लोग, हम लोग राम जी के पुत्र हैं, सेवक हैं, हमें कभी भी पैसे की पेशकश नहीं हुई। पैसे खाकर तो नेता लोग बैठे हैं। उधर, बीएचपी ने उनके इस आरोप को निराधार बताया है। बीएचपी के पदाधिकारी विनोद बंसल ने कहा कि राम मंदिर के लिए बीएचपी ने कभी किसी से एक पैसा नहीं लिया।1964 में वीएचपी आस्तित्व में आया था और हर साल इसका आडिट होता है। हमारे पास एक-एक पैसे का हिसाब है। इस बीच राम मंदिर आंदोलन से प्रमुखता से जुड़े रहे पूर्व बीजेपी सांसद राम विलास वेदांती ने कहा कि श्रीश्री कौन होते हैं मध्यस्थता के लिए। उन्हें अपना एनजीओ चलाना चाहिए।


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