हाई कोर्ट में सरकारी प्राइमरी स्कूलों का पाठ्यक्रम
एससीईआरटी की जगह एनसीईआरटी के सिलेबस की मांग, शिक्षा विभाग-बोर्ड से जवाब तलब
मटौर— प्रदेश की राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम का मसला हाई कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट ने शिक्षा विभाग और स्कूल शिक्षा बोर्ड से जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होनी है। बता दें कि प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाए जा रहे एसईआरटी के पाठयक्रम पर प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों समेत प्राइमरी टीचर फेडरेशन (पीटीएफ) ने सवाल उठाए थे। प्राइमरी स्कूलों में भी एनसीईआरटी का सिलेबस पढ़ाए जाने की मांग काफी समय से की जा रही है। इस मामले में अधिवक्ता कुलभूषण खजूरिया ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की है। प्रदेश में 10,724 प्राथमिक स्कूल हैं, जिनमें सवा दो लाख के करीब छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। पहली से पांचवीं तक एससीईआरटी का सिलेबस पढ़ाया जाता है। यह सिलेबस न तो सिस्टेमेटिकली होता है और न ही छोटे बच्चों का मानसिक रूप से विकास कर पाता है। तीसरी कक्षा की किताबों में किसी सिलेबस में दूसरी कक्षा के स्टैंडर्ड की पढ़ाई होती है तो किसी में पांचवीं के। अभ्यास करने के लिए प्रश्न-उत्तर नहीं होते। शिक्षक कई वर्षों से मांग कर रहे हैं कि प्राईमरी लेवल पर एनसीईआरटी का सिलेबस पढ़ाया जाए, क्योंकि पांचवीं के बाद जो भी नवोदय या सैनिक स्कूल के एग्जाम होते हैं, उनमें सवाल एनसीईआरटी लेबल के पूछे जाते हैं। एससीईआरटी का सिलेबस पढ़ने के कारण बच्चा इन परीक्षाओं में पिछड़ जाता है। एक ही किताब में हिंदी, मैथ और ईवीएस को डाल दिया जाता है। इसके अलाव तीसरी कक्षा में उन्हें इंग्लिश लगती है, जिससे बच्चे अपरिचित होते हैं। प्राथमिक कक्षाओं में ही सरकारी स्कूलों के बच्चे पिछड़ने शुरू हो जाते हैं और यही वजह है कि अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने को तवज्जो दे रहे हैं।
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