हिमाचल पर जल्द होगा डेंगू-मलेरिया का हमला

By: Nov 29th, 2017 12:01 am

शिमला – हिमाचल प्रदेश के निचले इलाकों में जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण के साथ हो रही छेड़छाड़ का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ सकता है। प्रदेश के कांगड़ा, ऊना, सोलन में बहुत जल्द मलेरिया व डेंगू जैसी बीमारियों का हमला होने वाला है। यह खुलासा मंगलवार को हिमाचल प्रदेश पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में हुआ। पर्यावरण एवं विज्ञान के विशेषज्ञ डा. सुरेश अत्री ने बताया कि वैज्ञानिकों के शोधानुसार प्रदेश के निचले इलाकों में जलवायु इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि यहां पर आने वाले कुछ समय में मलेरिया व डेंगू जैसी बीमारियों का राज होगा। उनका कहना है कि यहां के क्षेत्रों में कई फैक्टरियां लगाई गई हैं व उन फैक्टिरियों से निकले धुएं के कारण हवा पूरी तरह से प्रदूषित हो चुकी है। इसके साथ ही कांगड़ा, सोलन व ऊना में एक कारण बीमारियां फैलने का वहां के क्षेत्रों का ज्वलनशील होना भी है। विशेषज्ञ डा. सुरेश अत्री का कहना है कि अनेक वैज्ञानिक अध्ययनों के पश्चात यह तथ्य सामने आया है कि जलवायु पारिवर्तन बहुत तेजी से हो रहा है और गत 100 वर्षों में तीव्र से तीव्रतम होता जा रहा है। बदलते मौसम में यह तीव्रता विश्व या धरती के भौतिक व जैविय तत्वों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है।

स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो

पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट होने की भी हिदायत दी। विशेषज्ञों की मानें तो विभाग को डेंगू व मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियों के बारे में लोगों को सतर्क करना शुरू कर देना चाहिए।

प्लान में ये प्रोजेक्ट जरूरी

प्रदेश में कृषि के क्षेत्र को सुदृढ़ करना, प्राकृतिक जलस्रोतों को बचाना, वन संसाधनों के बचाव के लिए कार्य करना, प्रदेश की पांच मुख्य नदियां सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब व यमुना की महत्ता को कायम रखने के लिए इसे भी क्लाइमेंट चेंज प्लान में शामिल किया गया है। इसके अलावा विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं पर भी कार्य किया जाएगा और विभिन्न प्रोजेक्ट तैयार किए जाएंगे।

43 गांव सड़कों से दूर

कार्यशाला में यह भी खुलासा किया गया कि प्रदेश में 43 ऐसे गांव हैं, जो सड़कों से दूर हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत सरकार का क्लाइमेट चेंज एक्शन प्लान तभी सफल हो पाएगा, जब हर गांव सड़क से जुड़ेगा।

पानी के स्रोत खतरे में

हिमाचल में तापमान में वृद्धि व बारिश का समय पर न होना जलवायु परिवर्तन के संकेतक है। विशेषज्ञ के अनुसार प्राकृतिक जल संसाधनों के साथ छेड़छाड़ करने से यहां के नेचुरल सोर्स सूख गए हैं। प्राकृतिक जलस्रोतों को मजबूत करना आवश्यक है। इसलिए भारत सरकार के क्लाइमेट चेंज प्लान में इसे शामिल किया गया है।

मौसम में हो रहा बदलाव

मौसम विभाग के निदेशक मनमोहन सिंह ने कहा कि हिमाचल के मौसम में कुछ वर्षों से काफी परिवर्तन हुआ है। उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों से हिमाचल में बारिश व बर्फबारी काफी पड़ रही है। बर्फ व बारिश का कम होना चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में क्लाइमेंट  चेंज़ प्लान पर अगर सही से काम होता है तो इससे हिमाचल की आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाएगी।


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