अंततः अवैध ही बने रहेंगे अवैध

By: Dec 23rd, 2017 12:40 am

हाई कोर्ट के फैसले से झटका, अरसे से इमारतें रेगुलर होने की आस में थे लोग

शिमला – हिमाचल हाई कोर्ट के फैसले के बाद राज्य में हजारों भवन अब नियमित नहीं हो पाएंगे। अदालत के इस फैसले से भवन मालिकों को बड़ा झटका लगा है। राज्य में अवैध भवनों को तादाद हजारों में हैं। ऐसे में इन भवनों के नियमितीकरण का रास्ता बंद हो गया है। प्रदेश में अवैध भवनों का मामला बड़ा मसला रहा है। राज्य में जो भी सरकारें आई हैं, उनके लिए ये भवन फांस बने हैं। यही वजह है कि राज्य में साल 1997 से लेकर 2006 तक अवैध भवनों को नियमित करने लिए सात बार रिटेंशन पालिसी लाई गई, लेकिन इनके तहत भवन मालिकों  को ज्यादा राहत नहीं मिल पाई। राज्य में विधानसभा के अंदर और बाहर अवैध भवनों का मामला गरमाता रहा है, वहीं बीते साल राज्य में कांग्रेस सरकार ने टीसीपी एक्ट में ही संशोधन कर दिया। यह संशोधन पास भी हो गया था। इसके बाद यह विधेयक राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया, लेकिन यहां पर काफी समय तक यह पड़ा रहा। इसके बाद खुद मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री ने यह मामला राज्यपाल के सामने उठाया। भाजपा ने भी इस मसले को उठाया था। हालांकि बाद में राजभवन से कुछ मुद्दों पर सरकार से स्पष्टीकरण भी मांगा गया। इसमें खासकर कमजोर भवनों पर स्पष्टीकरण मांगा गया था कि ऐसे भवन जो खतरनाक है, उनके लिए क्या किया जाएगा। सरकार के स्पष्टीकरण के बाद राजभवन से ही इसे मंजूरी मिल पाई थी, लेकिन इस बीच यह मामला अदालत में चला गया, जहां से पहले इस पर रोक लगाई गई थी और अब इसे रद्द कर दिया गया है। राज्य में अवैध भवनों की तादाद करीब 27 हजार से करीब बताई जा रही है। ये वे भवन हैं, जिनके नक्शे ही पास नहीं हैं या नक्शे पास होने के बावजूद इनमें डेविएशन की गई है। इतना ही नहीं, रिटेंशन पालिसी की आड़ में राज्य में भवन मालिकों ने अवैध इमारतें खड़ी कर दी हैं।

हजारों भवन मालिकों के हाथ लगी निराशा

पिछले साल जब सरकार इस एक्ट में संशोधन करने की प्रक्रिया छेड़े हुए थी तो तब भी कई लोगों ने अवैध मंजिलें बनाईं। ऐसे में अब जबकि हाई कोर्ट ने एक्ट को ही गैर कानूनी बताया है तो इससे भवन मालिकों को बड़ा झटका लगा है। इससे पहले भवन मालिकों को एनजीटी से भी झटका लग चुका है। लोग इसको लेकर सरकार के पास पहुंच रहे हैं।


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