इकॉनोमी में सुस्ती खत्म कहना जल्दबाजी होगी

By: Dec 3rd, 2017 12:07 am

सूरत – पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 6.3 फीसदी रहने का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही सावधान भी किया कि पिछली पांच तिमाहियों में देखा गया गिरावट का दौर पलट गया है, ऐसा कहना अभी जल्दबाजी होगा। श्री सिंह ने यह भी कहा इस दर पर नरेंद्र मोदी सरकार के लिए यूपीए सरकार के दस साल के शासन की औसत वृद्धि दर की बराबरी कर पाना भी संभव नहीं होगा। सूरत में व्यापारियों के साथ एक बातचीत में सिंह ने कहा, जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की वृद्धि दर 6.3 फीसदी रही। यह स्वागतयोग्य है, लेकिन यह कहना बहुत जल्दबाजी होगी कि पिछली पांच तिमाहियों में देखा गया गिरावट का दौर बीत गया है। उन्होंने कहा, कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने नोटबंदी और जीएसटी के अनौपचारिक क्षेत्र पर पड़े प्रभाव का ठीक से आकलन नहीं किया है। यह क्षेत्र देश की अर्थव्यव्स्था का करीब 30 प्रतिशत हिस्सा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के पूर्व चेयरमैन प्रणव सेन और अर्थशास्त्री एम गोविंद राव का हवाला देते हुए श्री सिंह ने कहा, जीडीपी की वृद्धि के बारे में अभी भी महत्त्वपूर्ण अनिश्चितताएं हैं। भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2017-18 में अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर से रफ्तार पकड़ेगी। यदि 2017-18 में यह दर 6.7 प्रतिशत होती भी है तो मोदी के चार साल के कार्यकाल की औसत वृद्धि दर मात्र 7.1 प्रतिशत रहेगी। श्री सिंह ने दावा किया कि मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार के दस साल के शासन की औसत वृद्धि दर की बराबरी करने में भी समर्थ नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि बराबरी के लिए मोदी सरकार के अंतिम वर्ष में वृद्धि दर 10.6 प्रतिशत होनी चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ऐसा होता है तो मुझे खुशी होगी। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि जीडीपी में एक प्रतिशत का नुकसान देश का 1.5 लाख करोड़ रुपए का नुकसान है। मनमोहन सिंह ने कहा कि 2017-18 की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत पर नोटबंदी के चलते गई थी। इसके सकल प्रभाव को अभी भी कम करके आंका जा रहा है, क्योंकि अभी भी अनौपचारिक क्षेत्र के दर्द को पकड़ा नहीं जा सका है। उल्लेखनीय है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत पर रही है।


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