जादू का कालीन

By: Dec 10th, 2017 12:05 am

जादू का सुंदर कालीन देख कर सोनाली भी बहुत खुश हुई। वह बोली, भैया! इस पर बैठकर हम आकाश की सैर करें। बहुत मजा आएगा…

रविवार का दिन था। रोहित सुबह उठ कर अपने बागीचे में गया। वहां लॉन में उसे एक सुंदर कालीन दिखा। उसे लगा, यह जादू का कालीन है। उड़ने वाला कालीन। आकाश की परियों से नीचे गिर गया होगा। उसने अपनी बहन सोनाली को बुला कर कालीन दिखाया। जादू का सुंदर कालीन देख कर सोनाली भी बहुत खुश हुई। वह बोली, भैया! इस पर बैठकर हम आकाश की सैर करें। बहुत मजा आएगा।

रोहित की भी आकाश में उड़ने की बहुत इच्छा थी। दोनों भाई-बहन कालीन पर बैठ गए। एक चिडि़या तो पहले से ही कालीन पर बैठी थी। सोनाली ने ऐसे कालीन की एक कहानी सुन रखी थी। वह बोली,चल कालीन, छोड़ जमीन!

उसके इतना कहते ही कालीन ऊपर उठने लगा। कालीन को ऊपर उठता देख उनका कुत्ता मोती भी छलांग लगा कर उस पर चढ़ गया। वृक्ष की डाल पर बैठे रोमी बंदर ने कालीन को आकाश की ओर जाते देखा। उसकी इच्छा भी आकाश में जाने की हुई। वह भी तुरंत कालीन पर चढ़ने के लिए कूदा। परंतु तब तक देर हो चुकी थी। वह मुश्किल से कालीन का छोर पकड़ कर उसके साथ लटक सका।

धीरे-धीरे कालीन ऊपर को उड़ता गया। पर्वत, पक्षी सब नीचे छूट गए। कालीन बादलों से भी ऊपर चला गया। रोहित ने झुक कर नीचे की ओर देखा। उसे पहाड़ छोटे-छोटे लगे। खेत यूं लगे मानो किसी ने धरती को हरे रंग में रंग दिया हो। सभी को ठंडी-ठंडी हवा में इतना ऊंचा उड़ना बहुत अच्छा लग रहा था।

थोड़ी देर में सूरज निकल आया। गर्मी बढ़ने लगी तो सभी परेशान हो गए। सभी ने नीचे उतरना चाहा। तब सोनाली बोली, चल मेरे कालीन जल्दी छू ले जमीन! कुछ ही क्षणों में कालीन जमीन पर उतर आया। सभी आकाश की सैर कर बहुत खुश थे।


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