टीचर्स को आज तक नहीं मिला टीए-डीए

By: Dec 16th, 2017 12:01 am

हमीरपुर— पिछले वर्ष स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि बोर्ड की ड्यूटी में तैनात अध्यापकों को टीए-डीए का भुगतान मौके पर ही कर दिया जाएगा, लेकिन मार्च 2017 की परीक्षा के लिए देय यात्रा भत्ते व पारिश्रमिक का आज तक भुगतान नहीं किया गया है। इसको लेकर प्रदेश पदोन्नत स्कूल प्रवक्ता संघ ने स्कूल शिक्षा बोर्ड की कार्यप्रणाली पर रोष प्रकट किया है। संघ के कोर कमेटी अध्यक्ष केवल ठाकुर व प्रदेश महासचिव यशवीर जम्वाल ने कहा कि शिक्षा बोर्ड की कथनी और करनी में अंतर है। बोर्ड हर वर्ष वार्षिक परीक्षा से पूर्व शिक्षा स्तर में सुधार के नाम पर विभिन्न अध्यापक संघों से बैठकें आयोजित करके उनकी मांगों को मान लेता है और परीक्षा के संचालन हेतु सहयोग प्राप्त कर लेता है, लेकिन कार्य मनमाने ढंग से करता है। संघ के अनुसार 2017 में बोर्ड में विभिन्न अध्यापकों संघों के साथ जो बैठकें आयोजित कीं, उनमें स्पष्ट लिखा था कि इन बैठकों के लिए कोई भी यात्रा भत्ता नहीं दिया जाएगा, लेकिन छह अध्यापक संगठनों में से एक अध्यापक संगठन को लगभग 43 हजार टीए-डीए दिया गया और नियमों को ताक पर रखा गया। इसका खुलासा संघ के प्रदेश महासचिव यशवीर जम्वाल द्वारा डाली गई आरटीआई में हुआ है। इसके अलावा पिछली बैठक में बोर्ड ने माना था कि जमा एक व जमा दो के अंगे्रजी के पश्नपत्र में व्याकरण को नए सिरे से शामिल किया जाएगा, सभी विषयों में सीबीएसई की तर्ज पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न शामिल किए जाएंगे, लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ। इसके अतिरिक्त बोर्ड अध्यक्ष ने स्पष्ट किया था कि मार्च 2017 की वार्षिक परीक्षा में किसी भी सरकारी परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरा नहीं लगेगा, लेकिन निजी परीक्षा केंद्र में सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा और लगभग 100 सरकारी पाठशालाओं के परीक्षा केंद्रों में कैमरे लगाए गए। ये कैमरे भी उन परीक्षा केंद्रों में लगे, जिनमें छात्रों की बहुत कम संख्या थी। बैठक में प्रदेश उपाध्यक्ष हरिमन शर्मा, प्रधान जिला बिलासपुर संजीव शर्मा, जिला महासचिव रविदास मौजूद रहे।

भेदभावपूर्ण रवैया अपना रहा शिक्षा बोर्ड

संघ के प्रदेशाध्यक्ष रत्नेश्वर सलारिया का कहना है कि स्कूली शिक्षा बोर्ड का रवैया पूर्णतया भेदभावपूर्ण व मनमाना रहा है। गत वर्षों में बोर्ड का ध्यान प्रतियोगी परीक्षाओं संचालित करने की तरफ अधिक व छात्र हितों की तरफ कम रहा है। पिछले पांच वर्षों में स्कूल शिक्षा बोर्ड के पांच सचिव बदले जाना स्वयं बोर्ड की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। प्रदेशाध्यक्ष के अनुसार यदि पिछली संघ की बोर्ड के साथ हुई बैठक में लिए गए निर्णयों को लागू नहीं किया गया, तो संघ को मजबूरन शिक्षा बोर्ड के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ेगा।


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