टीम जयराम

By: Dec 28th, 2017 12:05 am

जाहिर तौर पर मंत्रिमंडल में राजनीतिक संख्या का वर्चस्व तसदीक हो रहा है। मंडी व कांगड़ा संसदीय क्षेत्रों में जयराम सरकार का विस्तृत आधार देखा जाएगा, तो प्रेम कुमार धूमल के सियासी नुकसान के दंश हमीरपुर को सता रहे हैं। सरकार के रहस्य पटल पर सजे कई नए चेहरे मुख्यमंत्री को आश्वस्त कर रहे हैं कि सारा परिदृश्य बदलने के लिए यह सहयोग काफी होगा, तो अनुभवी सहयोगियों का शामिल होना मंत्रिमंडल में गंभीरता बढ़ाता है। अगर हम इसे टीम जयराम के रूप में देखें तो मिश्रित संभावनाओं के बीच दक्षता और सूझबूझ का बेहतर उपयोग करने की पारी शुरू हो रही है। छात्र संगठन की ऊर्जा, आरएसएस का विमर्श और चंद बड़े नेताओं का संघर्ष, इस मंत्रिमंडल की ताजपोशी कर गया। शिमला का ऐतिहासिक रिज अपने अस्तित्व के साथ एक नई सरकार को जोड़कर बेशुमार तालियां सुनता रहा और कहीं पूर्व से उगते सूर्य की लालिमा ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का अभिनंदन किया। अभिनंदन की रौनक के ठीक सामने देश के प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हिमाचल की आशाओं का उदय, उन ढोल-नगाड़ों व पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ संगीतमय आनंद में बहता रहा। उत्साह की लाली से चंद कदम दूर, राज्य सचिवालय की फाइलों से झांकता मकसद और मंत्रिमंडल की पहली बैठक का आगाज समय की आवश्यकता बता गया। सत्ता की भागीदारी में हिमाचली समाज के जातीय उद्बोधन, भौगोलिक समीकरण और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के दीदार हो रहे हैं, तो तस्वीर के रंगों में बड़े नेताओं का समर्थन व समर्थक भी गिने जा सकते हैं। पिछली धूमल या वीरभद्र सरकारों से भिन्न कुछ नए प्रयोग-नए चेहरों के साथ भाजपा कर रही है, तो प्रदेश के स्नायु भी अलग तरह से शक्ति का आरोहण महसूस कर सकते हैं। मंत्रिमंडल को हम जिलावार आंकड़ों में देखेंगे, तो वर्तमान सरकार की पाजेब न हमीरपुर, न बिलासपुर, न सिरमौर और न ही चंबा में बज रही है, जबकि युवा प्रतिनिधित्व की परख में पांच नए चेहरे सचिवालय पहुंच चुके हैं। अब मुख्य संसदीय सचिव, बोर्ड-निगमों के उपाध्यक्ष व सत्ता के बल पर संगठित कुछ अन्य पदों पर राजनीतिक तीमारदारी का दौर चलेगा। शपथ ग्रहण समारोह स्थल से सचिवालय परिसर के फासले के बीच हिमाचल का एक युग बदल गया और पहली मंत्रिमंडलीय बैठक तसदीक कर रही है कि यहां योद्धाओं की जरूरत कितनी और कितनी ताजगी से भरे फैसले लेने पड़ेंगे, ताकि जनता एहसास करे कि वास्तव में सब बदल रहा है। सरकार ने नियुक्तियों के चोर रास्तों पर अंकुश लगाकर केवल अधीनस्थ सेवा तथा सार्वजनिक सेवा चयन आयोग के तहत अपनाई गई प्रणाली को मुक्त रखा है। ऐसे में पूर्व सरकार के दौर में शुरू हुई कई प्रकार की चयन प्रक्रिया पर रोक लग जाएगी और अप्रत्यक्ष संभावना के जरिए हो रही बंदरबांट रुक पाएगी। इसी के साथ पिछली सरकार के अंतिम छह महीनों का लेखा-जोखा भी पड़ताल के हवाले करके सरकार ने अपने परिचय की धारा का रुख मोड़ा है। सरकार ने पहली बैठक में पूर्व सरकार के कई फैसलों और ओहदेदारों को पदच्युत करते हुए सारे परिदृश्य को बदलने का बीड़ा उठाया है, तो स्थानांतरण की झड़ी से दूर रहते हुए यह आश्वासन भी दिया है कि इस दिशा में जयराम सरकार अपनी पद्धति का पारदर्शी खुलासा करेगी। प्रदेश की भाजपा सरकार की प्रतिबद्धता के जो शब्द दृष्टि पत्र के जरिए जाहिर हुए हैं, उस पर चलने की हिदायत में मंत्रिमंडल ने कमर कसी है। जयराम सरकार का नजरिया पहली ही बैठक में स्पष्ट हुआ है, फिर भी विपक्ष के सामने इसका रंग व ढंग आगामी शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत होगा। अगले साल की तैयारियों में विधानसभा का शीतकालीन सत्र जब धर्मशाला के तपोवन परिसर में नौ जनवरी से शुरू होगा तो जयराम की ताजपोशी में नया रणनीतिक कौशल, स्पष्टता और सरकार का अंदाज खिलकर सामने आएगा। बहरहाल मंत्रिमंडल के सहयोगियों में महिंद्र सिंह, किशन कपूर, सुरेश भारद्वाज, अनिल शर्मा, सरवीण चौधरी, रामलाल मार्कंडेय के अनुभव और विपिन परमार, वीरेंद्र कंवर, विक्रम सिंह, गोविंद सिंह व राजीव सहजल की युवा ऊर्जा से लबालब जयराम ठाकुर सरकार के संतुलन में सत्ता की नई पारी का जोरदार श्रीगणेश हो गया। भाजपा सरकारों की दमक में रिज भी भविष्य को निहारने का सपना देख रहा है और इसीलिए यह भीड़ नहीं जनापेक्षाओं का सैलाब था, जो हमेशा की तरह पैनी नजर रखेगा।


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