दवा पर चीनी संकट

By: Dec 25th, 2017 12:15 am

चीन ने 30 से 100 फीसदी बढ़ाए कच्चे माल के दाम, घाटे में कंपनियां

बीबीएन – दवा बनाने वाले रसायनों व अन्य सामग्री पर दवा कंपनियों की चीन पर निर्भरता महंगी पड़ रही है। कुछ महीने में चीन से आयातित एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इनग्रेडिएंट्स (एपीआई) के दाम 30 से 100 प्रतिशत बढ़े हैं। इस वजह से दवा कंपनियों की दवा निर्माण लागत बढ़ी है, जिसका सीधा असर उनके मुनाफे पर पड़ रहा है। हिमाचल का दवा उद्योग जगत भी एपीआई के दाम में आए उछाल से लडखड़ाने लगी है। हालात ये हैं कि महंगे रॉ मटीरियल के चलते दवा कंपनियों ने घाटे से बचने के लिए उत्पादन में कटौती का कदम उठाना शुरू कर दिया है। वर्ल्ड हैल्थ आर्गेनाइजेशन और चीन के पाल्यूशन डिपार्टमेंट ने उद्योगों को स्टैंडर्ड्स पर खरा उतरने के चलते बंद किया है। चूंकि देश में दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाला रॉ मटीरियल ज्यादातर चीन से आता है, इसलिए इसका असर हम पर भी होना माना जा रहा है। अब यह 20 से 100 फीसदी तक महंगा हो गया है, जिसका असर घरेलू दवा बाजार पर होना शुरू हो गया है। अगर दवा निर्माता भारत से ही बल्क ड्रग खरीदना चाहें, तो यहां भी मांग मुताबिक उपलब्धता न होने से दवा उत्पादन को सुचारू बनाए रखना संभव नहीं है। कई रॉ मटीरियल सेलर्स ने चीन से इंपोर्ट होने वाले इंटरमीडिएट कच्चे माल को स्टॉक कर लिया है। अब ये मझोली कंपनियों से मनचाही कीमत वसूल रहे हैं। एमएनसी में भी स्टॉक जमा है और रॉ मटीरियल के इंपोर्ट में कमी का फायदा उठाकर वह भी प्रोडक्ट्स की कीमत बढ़ाने की तैयारी में है।  अब चीन से आने वाले रॉ मटीरियल की कीमतों में आए उछाल से आयात पर असर पड़ा है, अगर आयात हो भी रहा है तो उससे दवा निर्माण की लागत प्रभावित हो रही है, जिसका असर मुनाफे पर पड़ रहा है। हालांकि रॉ-मटीरियल के रेट बढ़ने से एमआरपी नहीं बढेगी, क्योंकि नियम के अनुसार रॉ मटीरियल की कीमतों की बढ़ोतरी से दवाओं का एमआरपी तय नहीं किया जा सकता। अगर फिर भी किसी दवा कंपनी को कोई समस्या है, तो वे अपना केस एनपीपीए के सामने रख सकती है। दवा उद्यमियों के अनुसार भारतीय बाजार में बिकने वाले एंटीबायोटिक एमिकॉसिन इंजेक्शन की काफी मांग है, 2013 में 250 एमजी की एमआरपी सरकार ने 31.48 रुपए तय की थी, उस दौरान कच्चे माल का रेट करीब 7000 रुपए प्रति किलो था। 2016 में जब कच्चे माल का रेट दस हजार रुपए था, तब भी इंजेक्शन का रेट यही रहा। 2017 में कच्चे माल का दाम 21 हजार रुपए तक पहुंच गया है। सबसे ज्यादा बिकने वाले सॉल्ट पैरासिटामोल 225 रुपए प्रति किलो तक मिल जाता था। अभी यह 365 रुपए में मिल रहा है। बताते चलें कि एशिया की 35 फीसदी दवा उत्पादन करने वाले हिमाचल के दवा उद्योग 90 फीसदी बल्क ड्रग्स चीन से आयात कर रहे हैं। सीआईआई के पूर्वाध्यक्ष अरुण रावत ने बताया कि इस समय देश का दवा उद्योग चीन से आयात किए जाने वाले एपीआई के दामों में आए उछाल के कारण भारी दबाव में है, दवा की लागत बढ़ गई है और मुनाफा नाममात्र रह गया है, क्योंकि नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइजिंग अथारिटी के निर्देशानुसार तय मूल्य से ज्यादा एमआरपी नहीं रखी जा सकती। इस कारण दवा निर्माता कंपनियों को या तो अपने उत्पाद बंद करने पड़ेंगे या फिर घाटे में बेचने की नौबत आ गई है।

केपीएमजी सीआईआई की रिपोर्ट

केपीएमजी सीआईआई की हाल ही में जारी रिपोर्ट के मुताबिक एपीआई का आयात 11 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़कर 2004 के 80 करोड़ डॉलर से 2016 में 2.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। 2016 में मात्रा के हिसाब से चीन से कुल 60 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 70 प्रतिशत आयात हुआ है। इंडियन फार्मास्यूटिकल्स अलायंस के महासचिव डीजी शाह ने कहा कि चीन में दवा नियामक ने स्थानीय विनिर्माताओं पर निगरानी बढ़ा दी है और बेहतरीन विनिर्माण गतिविधि के अनुपालन से उनके उत्पादन लागत में बढ़ोतरी हुई है। इस वजह से चीन में एपीआई लागत कई गुणा बढ़ी है।

ड्रैगन से 90 फीसदी आपूर्ति

आंकड़े बयां कर रहे हैं कि भारत ज्यादातर बल्क ड्रग्स चीन से आयात करता है, जबकि हिमाचल के दवा उद्योग 90 फीसदी बल्क ड्रग्स चीन से मंगवा रहे हैं। चीन में बल्क ड्रग्स के दाम यहां के मुकाबले 30 से 40 प्रतिशत कम हैं। वर्ष 2014-15 में चीन, जर्मनी, यूएस, जापान से 3.9 बिलियन डॉलर की एपीआई का आयात किया गया, जिसमें से अकेले चीन से 63.3 फीसदी 3.3 बिलियन डॉलर की एपीआई आयात हुई है।

प्रभावित होगा तीन फीसदी मुनाफा

एपीआई की लागत में 30 से 100 प्रतिशत बढ़ोतरी होने से घरेलू बिक्री में मुनाफा 1.5 से तीन प्रतिशत तक प्रभावित हो सकता है। एपीआई में वह कच्चा माल और सहायक सामग्री शामिल होता है, जिनका इस्तेमाल दवाओं में किया जाता है। एक दशक से ज्यादा समय से स्थानीय दवा विनिर्माताओं ने इन कच्चे माल के उत्पादन में कमी कर दी है और तमाम मामलों में तो ज्यादा लागत होने की वजह से उत्पादन ही बंद कर दिया है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App