बिलासपुर लेखक संघ ने सजाई कवियों की महफिल

By: Dec 12th, 2017 12:01 am

बिलासपुर— बिलासपुर लेखक संघ की नियमित मासिक संगोष्ठी व्यास सभागार चांदपुर में में आयोजित हुई। यह संगोष्ठी दो सत्रों में संपन्न हुई। प्रथम सत्र में  लेखक संघ द्वारा लिखी जा रही दो पुस्तकों गुग्गा जाहर पीर तथा कहलूर के दर्शनीय स्थल पर विस्तृत चर्चा की गई। दूसरे सत्र में साहित्य संगोष्ठी में करीब 21 साहित्यकारों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रसिद्ध गायक लश्करी राम ने की, जबकि मंच संचालन साहित्यकार सुरेंद्र मिन्हास ने किया। कार्यक्रम का आगाज प्रकाश चंद पज्याला ने ‘धन्यवाद करता हूं उस राजनेता का, जिसने भैंस का चारा खाकर नहीं लिया डकार, कविता से की। अनिल शर्मा नील ने पर्यावरण ने ‘बदल दिया अब पुराना कोट-जैकेट, सब गर्मी-सर्दी-बरसात दिखाते अपने रूप भयंकर’, अवतार कौंडल ने ‘जिंदगी की अजब फितरत’ सुना कर खूब तालियां बटोरीं। वयोवृद्ध साहित्यकार द्वारिका प्रसाद ने पूजा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण विषय पर प्रसंग सुना कर सबका ज्ञानवर्धन किया। रूप शर्मा ने ‘हाय रे कहलूर, तेरी सतलुज मैली हो गई’, हेम राज ने ‘हिम्मत करोगे तो मंजिल जरूर मिलेगी’, बुद्वि सिंह चंदेल ने ‘हे तरुवर, हे वृक्षराज, हे नग्न धरा के सर के ताज’, जगदीश जमथली ने ‘मैं ऊंचे ख्वाब पालता हूं’, मदन लाल मिन्हास ने ‘चुनावी बयार’ सुना कर वाहवाही लूटी। जसवंत चंदेल ने लेखक संघ की वर्षभर की गतिविधियों को काव्यात्मक ढंग से प्रस्तुत किया। बीरबल धीमान ने ‘लो बीत गए चुनाव’, चंद्रशेखर पंत ने ‘गल सड़ रही है सतलुज’, कर्नल जेएस चंदेल ने यशपाल की जीवनी पर ’भूम्पल के यशपाल’, किरण ठाकुर ने ‘हुण बुडड़ा हुई गा शरीर, लोको बदल गई तस्वीर’ गाकर सुनाया। सुरेंद्र मिन्हास ने ‘सपने में एक दिन घर से मैं चला’, रोशन लाल शर्मा ने ‘देश है मेरा, भारत हमारा, हम इसकी जिंदाबाद करते हैं’, नरैणु राम हितैषी ने व्यंग्य ‘पत्नी तो पत्नी है, जो अपनी है’ सुना कर लोट-पोट कर दिया। कार्यक्रम के अध्यक्ष लश्करी राम ने ‘गंगा जमना नहीं है मैली, मैला तो इनसान है’ गाकर सुनाया।


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