मंदिर पर ही खर्च होगा 85 फीसदी चढ़ावा

By: Dec 26th, 2017 12:15 am

केंद्रीय वित्त मंत्रालय से गाइडलाइंस, विकास न करने पर भरना होगा टैक्स

हमीरपुर— मंदिरों और धार्मिक संस्थानों का चढ़ावा विकास कार्यों पर खर्च करो या इन्कम टैक्स चुकता करो। केंद्रीय वित्त मंत्रालय से जारी गाइडलाइंस में इसका स्पष्ट उल्लेख किया गया है। इसके तहत धार्मिक संस्थानों और मंदिरों का चढ़ावा भी आयकर के दायरे में आ गया है। मंदिरों के चढ़ावे का 85 फीसदी विकास कार्य पर खर्च करने की सूरत में ही आयकर से छूट मिलेगी, अन्यथा चढ़ावे की राशि पर नियमों के अनुसार टैक्स लगेगा। वित्त मंत्रालय से जारी आदेशों के बारे में मंदिर प्रशासन को अवगत करवाया गया है। अब सभी मंदिरों को चढ़ावे की कुल राशि का 85 फीसदी हिस्सा मंदिर के विकास कार्यों पर खर्चना पड़ेगा। जाहिर है कि बाबा बालक नाथ दियोटसिद्ध में 25 करोड़ का सालाना चढ़ावा आता है। इसमें 12 करोड़ शिक्षण संस्थानों के कर्मचारियों और अध्यापकों के वेतन पर खर्च हो रहा है। इसके अलावा मंदिर कर्मचारियों का वेतन भी चढ़ावे की राशि पर निर्भर है। प्रदेश के दूसरे मंदिरों में भी ट्रस्ट के खर्चा और कर्मचारियों का वेतन चढ़ावे पर निर्भर है। इस कारण राज्य के मंदिरों का विकास नहीं हो पा रहा है और आने वाले श्रद्धालु सुविधाआें के लिए तरस रहे हैं। राज्य के चिंतपूर्णी मंदिर में सबसे ज्यादा चढ़ावा दर्ज होता है, लेकिन विकास के नाम पर इस मंदिर में भी मरम्मत कार्य के अलावा कुछ नहीं हो पाया है। कांगड़ा का बज्रेश्वरी, सिरमौर का नयना देवी और दियोटसिद्ध का बाबा बालक नाथ मंदिर भी इसी फेहरिस्त में शामिल है। कांगड़ा के चामुंडा मंदिर को छोड़कर किसी दूसरे मंदिर में ज्यादा विकास कार्य दिखाई नहीं देता। यही कारण है कि सिद्धपीठ तथा शक्तिपीठों का चढ़ावा हमेशा श्रद्धालुओं को अखरता रहा है। शादी के लिए जाता है अनाज दियोटसिद्ध न्यास मंदिर के चढ़ावे को विकास कार्यों की बजाय अन्य मदों पर खर्च करने के लिए शुरू से ही विवादों में रहा है। वोटों की राजनीति के लिए मंदिर का चढ़ावा दूसरे विकास कार्यों और सामाजिक आयोजनों पर ही खर्च होता है। मंदिर के चढ़ावे से बड़सर विधानसभा क्षेत्र में हैंडपंप तथा मंदिर को जोड़ने वाले सड़क मार्गों पर खर्च हो रहा है। शादी-विवाह के लिए भी चढ़ावे की राशि जारी होती है। मंदिर से अनाज तथा बरतन देने की प्रथा भी न्यास ने शुरू कर दी है। अलबत्ता अब आयकर विभाग उन न्यासों पर कार्रवाई करेगा, जिनका चढ़ावा विकास कार्यों की बजाय बैंकों और दूसरी जगह खर्च हो रहा है। इन आदेशों के बाद अब उम्मीद है कि प्रदेश के मंदिरों की स्थिति और ज्यादा सुविधाजनक होगी। मंदिर न्यास चढ़ावों की राशि अब विकास कार्यों पर ही खर्च करेंगे। इसके लिए नकद राशि के अलावा दूसरे स्रोतों से प्राप्त आय का भी न्यास को ब्यौरा देना होगा।


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