राशन पर सबसिडी जारी रखना बड़ी चुनौती

By: Dec 31st, 2017 12:10 am

प्रदेश की नई सरकार के लिए आसान नहीं राशनकार्ड धारकों को चीनी पर राहत बरकरार रखना

शिमला— हिमाचल में नई सरकार ने सत्ता संभाल ली है, लेकिन इसके पास चुनौतियों की भरमार है। राशन व अन्य जरूरी खाद्य वस्तुओं को सस्ती दरों पर सुचारू रूप से उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी नई सरकार पर होगी। तेल, दाल पर करोड़ों रुपए की सबसिडी राज्य सरकार को देनी पड़ रही है और केंद्र से चीनी पर सबसिडी खत्म कर देने के बाद अब राज्य सरकार पर सस्ती दरों पर चीनी उपलब्ध करवाने की भी बड़ी चुनौती है। इस तरह नई सरकार की बड़ी अग्निपरीक्षा जरूरी खाद्य वस्तुओं पर सबसिडी उपलब्ध करवाने की रहेगी। केंद्र सरकार हिमाचल को चावल और गेहूं ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उपलब्ध करवा रहा है, लेकिन लोगों को महंगाई से राहत देने के लिए राज्य सरकार दालें, तेल, नमक अपने दम पर सस्ते दामों पर लोगों को दे रही है। राज्य सरकार सभी परिवारों को मौजूदा समय में तीन दालें और खाद्य तेल डिपुओं के माध्यम से उपलब्ध करवा रही है। हिमाचल में मौजूदा समय में करीब 18 लाख राशनकार्ड धारक हैं, जिनको खाद्य वस्तुएं काफी कम दामों पर दी जा रही हैं। इसके अलावा प्रत्येक परिवार को सस्ती दरों पर नमक भी दिया जा रहा है। इस पर अभी तक राज्य सरकार 250 से 300 करोड़ रुपए की सबसिडी दे रही है, वहीं केंद्र सरकार ने चीनी पर भी सबसिडी खत्म कर दी है। पहले जहां केंद्र सरकार चीनी पर हिमाचल को करीब 60 करोड़ रुपए की सब्सिडी दे रही थी, जो कि इस नए वित्त वर्ष से खत्म हो चुकी है। इसके बाद राज्य सरकार ने अपने स्तर सस्ती चीनी लोगों को उपलब्ध करवाने का फैसला किया था। हालांकि कुछ माह तक लोगों को यह चीनी नहीं मिल पाई थी, लेकिन बाद में इसे उपलब्ध करवा दिया था।

आटा-चावल पर भी लग गया कट

केंद्र सरकार द्वारा राशन पर कट लगाया जा रहा है। पहले जहां लोगों को राशनकार्ड पर 13 से 14 किलो आटा और सात किलो चावल दिया जाता था, वहीं अब इसको कम किया गया है। हालांकि चावल और गेहूं केंद्र सरकार ही उपलब्ध करवाती है, लेकिन लगातार राशन पर कट लगने से लोगों को सस्ता राशन उपलब्ध करवाने की जिम्मेवारी भी नई सरकार पर होगी।

अभी डिजिटल राशनकार्ड अधूरा

सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल राशन कार्ड सिस्टम को पूरी तरह लागू करने की जिम्मेदारी भी नई सरकार पर रहेगी। डिजिटल राशनकार्ड हालांकि लागू किया जा चुका है, लेकिन अभी यह अधूरा ही है।

प्रति व्यक्ति दी जा रही 500 ग्राम चीनी

केंद्र सरकार से सबसिडी मिलने पर पहले जहां लोगों को 700 ग्राम प्रति सदस्य चीनी मिलती थी, वहीं अब 500 ग्राम चीनी दी जा रही है। इस तरह राज्य में एपीएल परिवारों को चीनी करीब 29 रुपए प्रति किलो के हिसाब से दी जा रही है, जबकि राज्य सरकार को बाजार से यह चीनी 40 से 42 रुपए में मिल रही है। इस तरह एक सरकार प्रत्येक किलो पर करीब 12 से 13 रुपए की सबसिडी अभी दे रही है।


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