शोध छात्रों के लिए नया प्लेजियरिज्म सॉफ्टवेयर

By: Dec 22nd, 2017 12:02 am

शिमला— हिमाचल  प्रदेश विश्वविद्यालय में पीएचडी कर रहे शोध छात्रों की मुश्किल का समाधान एचपीयू प्रशासन ने कर दिया है। प्रशासन ने शोध छात्रों के शोध के लिए जरूरी प्लेजियरिज्म सॉफ्टवेयर एचपीयू में ही उपलब्ध करवा दिया है। इस सॉफ्टवेयर से अब छात्रों को पीएचडी थीसिस तैयार करने में आसानी होगी। एचपीयू के विभागों में पीएचडी कर रहे छात्रों ने विवि प्रशासन के समक्ष यह मांग उठाई थी कि छात्रों को थीसिस यूजीसी के नियमों पर तैयार करनी पड़ रही है। इसके चलते छात्रों को थीसिस में कितना कार्य थीसिस से मिल रहा है, इस बात का पता लगाने के लिए प्लेजियरिज्म की आवश्यकता है, लेकिन विवि के पास यह सॉफ्टवेयर उपलब्ध ही नहीं था। अब छात्रों की मांग पर विवि ने यह सॉफ्टवेयर शोध छात्रों के लिए मुहैया करवा दिया है। विवि ने इस सॉफ्टवेयर की सुविधा को इनफ्लिबनेट से लिया है। इनफ्लिबनेट से पासवर्ड भी विवि को दिया गया है, जिसके बाद अब विवि इसका इस्तेमाल कर सकता है। एचपीयू के पुस्तकालय में विवि ने यह सॉफ्टवेयर एक्टिवेट किया है, अब इसके एक्टिवेट होने के बाद शोध छात्र इसका इस्तेमाल थीसिस चैक करने के लिए कर सकते हैं। यूजीसी की ओर से एमफिल, पीएचडी के लिए नियमों में संशोधन कर रेगुलेशन 2016 तैयार किया है।

नकल पर वापस होंगी थीसिस

रेगुलेशन के आधार पर शोध कार्य में गुणवत्ता लाने के लिए थीसिस में प्लेजियरिज्म यानी नकल को लेकर विवि सख्त हो गया है। अगर किसी भी शोधार्थी की थीसिस मेें किसी और शोध को कॉपी किया गया तो यूजीसी उसे तैयार थीसिस से हटा देगा। इसके लिए प्रतिशतता भी यूजीसी ने तय की है। इसमे तीन स्तर शामिल किए हैं। पहले स्तर में अगर किसी छात्र की थीसिस का में दस से 40 फीसदी का अंश अन्य शोध से मिलता है, तो उसे निकाल कर शोधार्थी को उसमें सुधार कर थीसिस जमा करवाने के लिए छह महीने दिए जाएंगे। दूसरे स्तर पर अगर कॉपी किया गया कंटेंट 40 से 60 फीसदी तक मेल खाता है, तो उसे निकाल कर सुधार के लिए 18 महीने और अगर थीसिस का कंटेंट 60 फीसदी से अधिक मेल खाता हुआ तो शोधार्थी का पंजीकरण आयोग की ओर से रद्द कर दिया जाएगा। इस प्रतिशतता और थीसिस की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए शोधार्थियों को प्लेजियरिज्म सॉफ्टवेयर की आवश्यता थी, जो विवि ने पूरी कर दी है। छात्र थीसिस इस सॉफ्टवेयर में डालकर यह देख सकते हैं कि कितना भाग अन्य थीसिस से मेल खा रहा है। इसे चैक कर छात्र इसमें सुधार कर शोध कार्य जल्द पूरा कर इसे अप्रूवल के लिए यूजीसी को भेज सकता है। खबर की पुष्टि अधिष्ठाता अध्ययन प्रो. गिरिजा शर्मा ने की है।


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