संस्कृति बढ़ाने के लिए बजट ही नहीं

By: Dec 8th, 2017 12:02 am

प्रदेश में संगीत अकादमी खोलने की योजना सात साल से ठंडे बस्ते में

 शिमला— देवभूमि के नाम से पहचान बनाने वाले हिमाचल की संस्कृति दिन-प्रतिदिन महत्त्वता खोती जा रही है। प्रदेश की संस्कृति को बढ़ावा देने के मकसद से सरकार व भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा भी कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। हैरानी तो इस बात की है कि दिल्ली की संगीत अकादमी ने जो योजना हिमाचल में शुरू भी की थी, वे भी सरकार ने खत्म कर दी है। सात साल तक चली अंतरराज्यीय सांस्कृतिक अदान-प्रदान योजना के तहत प्रदेश के कलाकार बाहरी राज्यों में जाकर प्रदेश की संस्कृति को बढ़ावा देते थे व दुनिया को प्रदेश की संस्कृति से अवगत करवाते थे, लेकिन कुछ साल बाद बजट का रोना रोकर सरकार ने प्रदेश के कलाकारों के लिए बजट ही पास नहीं किया, जिसके बाद आज तक ये कलाकार बाहरी राज्यों में प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं कर पाए। संगीत अकादमी की ओर से आयोजित इन कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रदेश के कलाकार उत्तर प्रदेश, राज्यस्थान, मणिपुर जाते थे, जिसमें एक बार हिमाचल की टीम को पहला नंबर भी मिला था। इस तरह से बाहरी राज्यों में प्रदेश के अलग-अलग जिलों की संस्कृति, खान-पान, रहन-सहन लोगों को देखने को मिलता था। इस योजना के लिए दिल्ली की संगीत अकादमी ने प्रदेश सरकार के साथ करार किया था, जिसमें यह कहा गया था कि कलाकारों को बाहरी राज्यों में भेजने के लिए 60 प्रतिशत खर्चा अकादमी उठाएगी व प्रदेश सरकार इस योजना में 40 प्रतिशत खर्च करे। 1979 में शुरू हुई यह योजना 2010 में बंद हो गई थी, जिसका कारण यही बताया जा रहा है कि 2010 में जब सरकार ने यह योजना बंद करवाई थी, तो यह तर्क दिया गया था कि इस तरह के फिजूल काम के लिए सरकार बजट नहीं दे सकती। भाषा एवं संस्कृति विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी व संगीत कलाकार प्रेम प्रकाश का कहना है कि यह योजना दूसरी बार शुरू होनी चाहिए।

सरकार ने नहीं करवाई बैठक

सरकार ने भाषा संस्कृति विभाग के साथ इस योजना पर होने वाली बैठक भी आयोजित नहीं करवाई। सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेश के संगीत नृत्य कलाकारों को बड़ा झटका लगा और वे काफी आहत भी हुए। हिमाचल की संस्कृति को बढ़ावा देने के सरकार के दावे यहां खोखले नजर आते हैं। जब प्रदेश सरकार हिमाचल के कलाकारों के लिए 40 प्रतिश्त का बजट तक खर्च नहीं कर सकती, तो फिर बड़े-बड़े दावे सरकार के नाकाफी हैं।


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