सड़क निर्माण में भू-अधिग्रहण बड़ी चुनौती

By: Dec 1st, 2017 12:01 am

प्रदेश में एनएच-फोरलेन के आड़े आ रही दिक्कतें, विस्थापन के लिए कम पड़ रहा सरकारी मुआवजा

हमीरपुर – राज्य में एनएच-फोरलेन के निर्माण में भू-अधिग्रहण सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। पहाड़ी राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां इसके लिए आड़े आ रही हैं। लोगों के पास जमीनें कम हैं और विस्थापन के लिए सरकारी मुआवजा कम पड़ रहा है। इसके चलते सभी फोरलेन और टू-लेन के निर्माण कार्य प्रभावित हैं। हाई-वे के निर्माण के लिए पहाड़ों और वन संपदा का चीर हरण इसके भू-गर्भ को भी खोखला कर रहा है। नतीजतन भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील जोन पांच में इसका निर्माण आसान नहीं है। हिमाचल प्रदेश में सड़क परियोजनाओं के निर्माण के लिए सबसे बड़ी बाधा जमीन की है। भू-अधिग्रहण के लिए मुआवजे की राशि प्रभावितों को नागवार गुजर रही है। मटौर-शिमला नेशनल हाई-वे के अब भी एक दर्जन के करीब मुआवजे के मामले अदालत में विचाराधीन हैं। विभागीय आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के सभी फोरलेन निर्माण के लिए मुआवजे के लिए धरना-प्रदर्शन हो रहा है। मुआवजे के लिए राज्य सरकार ने दो तरह की व्यवस्था की है। इसके लिए राज्य सरकार ने सर्किल रेट निर्धारित किए हैं। इसी के तहत विस्थापितों को मुआवजा दिया जाता है। इन दरों को नामंजूर करने वाले प्रभावितों के लिए डीसी की अध्यक्षता में भू-अधिग्रहण कमेटी गठित की है। इस आधार पर डीसी की अध्यक्षता वाली कमेटी प्रभावितों के साथ मुआवजे की राशि को नेगोसेट कर नई दरें भी ऑनस्पाट लागू कर देती है। प्रदेश में 2600 से लेकर दस हजार तक प्रति स्क्वेयर मीटर सर्किल रेट निर्धारित किए गए हैं। विवाद होने पर इससे भी अधिक मुआवजे का प्रावधान है। इन्हीं लफड़ों के चलते टू-लेन तथा फोरलेन के निर्माण में बाधा आ रही है। वहीं पुरातत्त्व विभाग विज्ञानियों के अनुसार पहाड़ों में जरूरत से ज्यादा निर्माण भू-गर्भ में हलचल मचा देता है। खासकर खड़ी पहाडि़यों के काटने पर विपरीत असर पड़ता है। वहीं अब केंद्रीय सड़क मंत्रालय ने अत्याधुनिक वैज्ञानिक ढंग से डंपिंग साइट की कड़ी शर्त लागू कर दी है। बताते चलें कि हिमाचल प्रदेश में फोरलेन तथा टू-लेन के निर्माण कार्य में पहाड़ जैसी चुनौतियां होने के बावजूद राज्य के इंजीनियर्ज इन पर खरा उतर रहे हैं।

फोरेस्ट क्लीयरेंस बन सकती है सिरदर्द

ग्रीन फेलिंग के चलते इन परियोजनाआें के निर्माण का पहिया केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में आकर जाम हो रहा है। खासकर नेशनल हाई-वे निर्माण के एक दर्जन से ज्यादा प्रोजेक्ट लंबे समय से मंत्रालय में लटके हैं। नए घोषित किए गए नेशनल हाई-वे के निर्माण में फोरेस्ट क्लीयरेंस सबसे बड़ी सिरदर्द साबित होने का अंदेशा है। हिमाचल में कई सड़क मार्गों के विस्तारीकरण का कार्य इसी अड़चन से फंसा था। लिहाजा अब इनमें अधिकतर टू-लेन घोषित कर दिए हैं।


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