समसामयिकी

By: Dec 13th, 2017 12:06 am

ग्लोबल कल्चरल हेरिटेज में कुंभ

योग के बाद मोदी सरकार ने प्रसिद्ध कुंभ मेले की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित कराते हुए इसे यूनेस्को की लिस्ट में शामिल कराने की दिशा में कदम बढ़ाया। इसके साथ ही हिंदुओं के इस बड़े तीर्थ मेले को ग्लोबल इंटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज लिस्ट में शामिल कर लिया गया है। इस बात की जानकारी फ्रांस स्थिति भारतीय दूतावास में भारतीय राजदूत विनय क्वात्रा ने दी।  विनय ने ट्विटर पर लिखा कि भारत को बधाई हो। कुंभ मेले को यूनेस्को की इंटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज लिस्ट में शामिल कर लिया गया है। कुंभ मेला हिंदू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल- हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष में इस पर्व का आयोजन होता है। मेला प्रत्येक तीन वर्षों के बाद नासिक, इलाहाबाद, उज्जैन और हरिद्वार में बारी-बारी से लगता है। इलाहाबाद में संगम के तट पर होने वाला आयोजन सबसे भव्य और पवित्र माना जाता है। इस मेले में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं। ऐसी मान्यता है कि संगम के पवित्र जल में स्नान करने से आत्मा शुद्ध हो जाती है।

धार्मिक मान्यता – राक्षसों और देवताओं में जब अमृत के लिए लड़ाई हो रही थी तब भगवान विष्णु ने एक ‘मोहिनी’ का रूप लिया और राक्षसों से अमृत को जब्त कर लिया। भगवान विष्णु ने गरुड़ को अमृत पारित कर दिया, और अंत में राक्षसों और गरुड़ के संघर्ष में कीमती अमृत की कुछ बूंदें इलाहाबाद, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिर गईं। तब से प्रत्येक 12 साल में इन सभी स्थानों में ‘कुम्भ मेला’ आयोजित किया जाता है।

अर्द्ध कुंभ और माघ मेला

हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्द्ध कुंभ होता है। अर्द्ध या आधा कुंभ, हर छह वर्र्षों में संगम के तट पर आयोजित किया जाता है। पवित्रता के लिए अद्ध कुंभ भी पूरी दुनिया में लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। माघ मेला संगम पर आयोजित एक वार्षिक समारोह है।

कुंभ पर्व चक्र – कुंभ पर्व विश्व में किसी भी धार्मिक प्रयोजन हेतु भक्तों का सबसे बड़ा संग्रहण है। सैकड़ों की संख्या में लोग इस पावन पर्व में उपस्थित होते हैं। कुंभ का संस्कृत अर्थ है कलश, ज्योतिष शास्त्र में कुंभ राशि का भी यही चिन्ह है। हिंदू धर्म में कुंभ का पर्व हर 12 वर्ष के अंतराल पर चारों में से किसी एक पवित्र नदी के तट पर मनाया जाता है- हरिद्वार में गंगा, उज्जैन में क्षिप्रा, नासिक में गोदावरी और इलाहाबाद में संगम जहां गंगा, यमुना और सरस्वती मिलती हैं।


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