सांसद भारतीय, बोल पाकिस्तानी

By: Dec 29th, 2017 12:05 am

संसद भारत की है, सांसद भारतीय हैं, तमाम सुख-सुविधाएं भी भारत में ही मुहैया हैं, लेकिन हमदर्दी और जुबान पाकिस्तानी है। बार-बार पाकिस्तान का समर्थन किया जाता रहा है मानो भारतीयों का हाथ, पाकिस्तान के साथ हो! भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद नरेश अग्रवाल ने कुलभूषण जाधव को ‘आतंकी’ करार दिया। सांसद ने कहा-पाकिस्तान कुलभूषण को आतंकवादी जैसा मानता है, लिहाजा वैसा ही व्यवहार करेगा। यह पाकिस्तान की अपनी नीति है।’ औसत नेता की तरह संसद से बाहर आकर उन्होंने भी बहाना बना दिया कि बयान को तोड़-मरोड़  कर पेश किया गया है। दरअसल यह पाकपरस्त बयान संसद के भीतर दिया गया है, किसी चुनावी रैली का हिस्सा नहीं है। हमारा यकीन है कि सभापति या पीठासीन अधिकारी ने यह देशविरोधी बयान राज्यसभा के रिकार्ड में ही दर्ज नहीं होने दिया होगा, लेकिन नरेश अग्रवाल को इस राजनयिक मुद्दे पर बोलने की जरूरत क्या थी? न तो वह विदेश मंत्री या उनके सहायक हैं, न ही विदेश सचिव हैं, न ही पाकिस्तान में नियुक्त उच्चायुक्त हैं या पाकिस्तान संबंधी विभाग के राजनयिक हैं। नरेश अग्रवाल का देश की कूटनीति और विदेश नीति से भी कोई नाता नहीं रहा है। फिर भारतीय नौसेना के पूर्व कमांडर कुलभूषण जाधव के संदर्भ में पाकिस्तान की जुबान बोलने की जरूरत क्या थी? सपा या संसद ने भी उन्हें इस मुद्दे पर बोलने को अधिकृत नहीं किया था। यह एक वर्ग विशेष के प्रति हमदर्दी की सियासत है, लिहाजा हमारी संसद में भी कई जुबानें और पार्टियां पाकपरस्त रही हैं। क्या नरेश अग्रवाल ने या उनके पैरोकारों ने एक बयान के अंतरराष्ट्रीय मायने समझे हैं? पाकिस्तान को एक तार्किक हथियार थमा दिया गया है। पाकिस्तान के हुक्मरान और राजनयिक इस वक्त ठहाके लगा रहे होंगे कि बेशक सांसद भारतीय हैं, लेकिन वे प्रवक्ता पाकिस्तान के हैं। पाकिस्तान इस बयान को एक दलील के तौर पर अंतरराष्ट्रीय अदालत में पेश करेगा। उसके पत्रकारों ने तो भारत के टीवी चैनलों पर बहसों में शिरकत करते हुए ऐसे संकेत भी दिए हैं। सांसद नरेश अग्रवाल ने जो बोला है या उनकी जुबान फिसल गई है, उन्होंने राष्ट्रीय अपराध किया है। राष्ट्र को शर्मसार किया है। यही नहीं, देश की हिफाजत के लिए हमेशा लड़ने वाली और ‘शहादत’ को तैयार फौज को भी बेइज्जत किया है, क्योंकि कुलभूषण भी हमारी नौसेना के पूर्व कमांडर हैं। लिहाजा नरेश अग्रवाल को सजा तो जरूर देनी चाहिए। उन्हें राज्यसभा की सांसदी से बर्खास्त किया जाए। ऐसे विशेषाधिकार सभापति और राज्यसभा की संबद्ध कमेटी के पास होते ही हैं। यदि सांसद खुद राज्यसभा में ही माफी मांगते हैं, तो उन्हें माफ भी किया जा सकता है, लेकिन भारतीय संसद में पाकपरस्त प्रवक्ताओं का वजूद खत्म किया जाना चाहिए। पाकिस्तान की ना’पाक हुकूमत ने मुलाकात के नाम पर कुलभूषण की माता जी और पत्नी के साथ जो असभ्य, असंस्कृत, अनैतिक बदसलूकी की है, उस पर भी भारत शांत नहीं बैठ सकता। देश की औसत आबादी में इस अपमान पर गुस्सा और आक्रोश है। सार्वजनिक तौर पर भीड़ में से ऐसे बयान सुने जा सकते हैं कि अब पाकिस्तान के टुकड़े करने का वक्त आ गया है। दरअसल ना’पाक लोगों को भारतीय औरत की बिंदी, चूड़ी और मंगलसूत्र के भावनात्मक और सांस्कृतिक महत्त्व के बारे में एहसास ही नहीं है। हास्यास्पद है कि चप्पल और बिंदी को भी सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील माना गया। पाकिस्तान अब ‘चप्पलचोर’ देश भी बन गया है, लेकिन भारतीय संसद एक और पहल करे कि सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया जाए कि पाकिस्तान एक आतंकी और असभ्य देश है। रही बात सांसद नरेश अग्रवाल की, तो उनकी पार्टी सपा का ही उनके बयान से किनारा करना पर्याप्त नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर पार्टियां ‘परांठे’ क्यों सेंकने लगती हैं, इस पर विमर्श होना चाहिए और सांसद के खिलाफ कोई निर्णायक कार्रवाई जरूर की जानी चाहिए, नहीं तो देश की सैन्य गरिमा और संप्रभुता इस स्थिति पर आंसू जरूर बहाएगी।


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