सोलन के वैज्ञानिकों ने उगाया हिरेशियम मशरूम

By: Dec 24th, 2017 12:03 am

सोलन — भारत में भी अब औषधीय गुणों से भरपूर हिरेशियम मशरूम का उत्पादन हो सकेगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के देश के एकमात्र डायरेक्टरेट मशरूम रिसर्च (डीएमआर) सोलन ने हिरेशियम मशरूम को उगाने में सफलता हासिल की है। स्वाद, पौष्टिता व पैदावार में भी हिरेशियम मशरूम की अन्य प्रजातियों को मात दे रही है। इसका ट्रायल सफल हो चुका है और डीएमआर शीघ्र ही इसकी तकनीक मशरूम उत्पादकों को देगा। खास बात यह है कि यह मशरूम कई तरह के बीमारियों से आपको बचा सकेगा। जानकारी के अनुसार सोलन स्थित मशरूम निदेशालय द्वारा हिरेशियम मशरूम को तैयार कर दिया गया है। तीन साल के बाद इस मशरूम को बनाने में डीएमआर को सफलता हाथ लगी है।  बताया जा रहा है कि यह मशरूम शेर की दाड़ी या मंकी हैड मशरूम की तरह दिखती है। इसलिए इसे मंकी हैड या लॉयनमैने मशरूम भी कहा जाता है। इस मशरूम की विशेषता यह है कि इसे लकड़ी के बुरादे पर आसानी से उगाया जा सकता है।   इसके लिए 18 से 20 डिग्री तापमान की जरूरत होती है।  इसके एक ब्लॉक लगाने की कीमत 40 रुपए आती है, जबकि हम एक ब्लॉक से 500 ग्राम मशरूम ले सकते हैं। यह मशरूम देश में बिकने वाली अन्य खाने वाली मशरूम से बेहतर दाम पर बिकती है। बटन मशरूम से तो यह दोगुने दामों पर बिकती है। भारत में ज्यादा खाई जाने वाली बटन मशरूम, मिल्की व ढींगरी 60 रुपए प्रतिकिलो बिकती है, जबकि शिटाके 100 और हिरेशियम 120 रुपए प्रति किलोग्राम बिक रही है।

औषधीय गुणों का है खजाना 

हिरेशियम मशरूम में औषधीय गुणों का खजाना छिपा है। खाने में भी यह मशरूम बहुत स्वादिष्ट होने के साथ-साथ यह  न्यूट्रीशियंस वैल्यू को बढ़ाती है। यह मशरूम चिकन की तरह बनती है और खाने में इसका चिकन से भी बढि़या स्वाद है। इस मशरूम को खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। साथ ही इससे नर्वस सिस्टम और सुकुर्लेट्री सिस्टम को भी इंप्रूव होगा। इसके औधषीय गुणों पर शोध अभी भी जारी है।


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