33 की हुई नौणी यूनिवर्सिटी

By: Dec 2nd, 2017 12:05 am

नौणी — डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय नौणी ने शुक्रवार को अपना 33वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग(डीएसटी) में जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के सलाहकार और प्रमुख डा. अखिलेश गुप्ता मुख्यातिथि रहे। डा. अखिलेश गुप्ता ने भारतीय हिमालय क्षेत्र के लिए क्षमता निर्माण पहल विषय पर सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हिमालय क्षेत्र दुनिया के अन्य पर्वत श्रृंखलाओं से अलग है। उन्होंने बताया कि भारत में दस हिमालयी राज्य और दो आंशिक हिमालयी राज्य हैं। यह क्षेत्र काफी जटिल है और इनमें सामाजिक-सांस्कृतिक और जातीय विविधता और जैव विविधता है। इन क्षेत्र में, विशेषकर से कृषि क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करता पड़ता है। राष्ट्रीय कृषि खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (एनएबीआई) के कार्यकारी निदेशक डा. टीआर शर्मा भी इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका पर चर्चां की। इस समारोह की शुरुआत हिमाचल के संस्थापक डा. वाईएस परमार को श्रद्धांजलि देकर हुई।  इस मौके पर नौणी विवि के कुलपति डा. एचसी शर्मा ने विश्वविद्यालय का एक संक्षिप्त इतिहास और प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। डा. शर्मा ने कहा कि युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करने और पारंपरिक कृषि की चुनौतियां को संबोधित करने की जरूरत है। पहली दिसंबर 1985 को इस विश्वविद्यालय की स्थापना औद्यानिकी, वानिकी और संबंधी विषयों के क्षेत्र में शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।  नौणी विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के मौके पर  विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग में जलवायु परिवर्तन के सलाहाकार डा. अखिलेश गुप्ता ने बताया कि डीएसटी जल्द ही हिमालय विश्वविद्यालयों के लिए एक शोध और विकास कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे, जिसमें उत्कृष्टता का केंद्र, जिसमें प्रमुख अनुसंधान एवं विकास तथा नेटवर्क कार्यक्त्रम शामिल होंगे।


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