आज मंडी, कल कांगड़ा में होगी नीलामी

By: Jan 30th, 2018 12:03 am

अवैध खनन माफिया का फन कुचलने को बिकेंगी प्रदेश की खड्डें

शिमला – प्रदेश की नई सरकार अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए हर जिला में खदानों की जल्द नीलामी की पहल कर रही है। मकसद यही है कि माफिया को पांव पसारने का वक्त ही न मिल सके। दूसरे, लोगों को भवन निर्माण सामग्री की दिक्कतें पेश न आएं। यही नहीं माइनिंग से राजस्व बढ़ाने के लिए माइनिंग विंग निवेशकों से अपफ्रंट प्रीमियम 25 फीसदी के हिसाब से वसूलने लगा है। मौजूदा सरकार ने सत्ता में आने के बाद  अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए हर जिला में खड्डों की नीलामी का फैसला लिया गया है। विंग ने इस बार आठ करोड़ के राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि पिछले वर्ष यह 3.5 करोड़ था। उस दौरान अवैध खनन के मामलों से ही 4.5 करोड़ का जुर्माना वसूला गया। आठ हजार से भी ज्यादा मामले अवैध खनन के सामने आए। इस कड़ी में अब बिलासपुर, मंडी, कांगड़ा व सिरमौर जैसे जिलों में नीलामी कार्य चल रहा है। मंडी में 30 को कांगड़ा में 31 जनवरी को और सिरमौर में 9 फरवरी को नीलामी प्रक्रिया शुरू होगी। जानकारी के मुताबिक निवेशकों को तमाम नीलाम की गई खड्डों पर कार्य करने से पहले वन व पर्यावरण एनओसी खुद ही लेनी होगी।   इसका समय दो वर्ष निर्धारित किया गया है।  उन्हें 50 हेक्टेयर की अनुमति प्रदेश में ही मिलेगी, जबकि 5 हेक्टेयर की जिला स्तर पर मिलेगी। निवेशकों से जो धरोहर राशि ली जाएगी,  उसकी एवज में उन्हें लैटर ऑफ इंटेंट जारी किया जाएगा, जिसमें शर्त होगी कि उन्हें दो वर्ष के अंदर कार्य शुरू करना होगा। इसी राशि में से 25 फीसदी रकम बतौर अपफ्रंट प्रीमियम विंग वसूलेगा। सरकार का यह एक अच्छा प्रयास है कि सभी जिलों में नीलामी कार्य पूरा कर लिया जाए, ताकि अवैध खनन के लिए माफिया को मौका ही न मिल सके। अब उद्योग विभाग इसमें कितना सफल होगा, यह समय बताएगा।

यहां हैं दिक्कतें

प्रदेश की तमाम नदियां व खड्डें,जो वन भूमि के तहत आती है, वहां वन विभाग का अधिकार क्षेत्र है। यही वे इलाके हैं, जहां अवैध खनन में जुटे लोग चांदी कूटते हैं। हालांकि वन विभाग में डीएफओ से रेंज अफसर स्तर के अधिकारी को ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के साथ-साथ एफआईआर दर्ज करने की शक्तियां हासिल है। मगर अत्यधिक कार्य बोझ के कारण संबंधित महकमा भी कुछ नहीं कर पाता।


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