गो फॉलिक अभियान का विस्तार

By: Jan 16th, 2018 12:02 am

मेयर वीटाबायोटिक्स ने पंजाब-हरियाणा में जागरूक किए लोग

चंडीगढ़ – लोगों को दो बर्थ डिफेक्ट्स स्पीना बाईफिडा और ऐनेनसिफेली के प्रति जागरूक करने की दिशा में मेयर बायोटिक्स वीटाबायोटिक्स ने अपने गो फॉलिक अभियान का विस्तार पंजाब और हरियाणा में किया है। शोधकर्ताओं के अनुसार गर्भवती महिलाओं के द्वारा फॉलिक एसिड के सेवन से पैदा होने के दौरान नवजात बच्चों में ऐसी विकृतियों से बचा जा सकता है, जिसमें क्लेफ्ट लिपए क्लेफ्ट पैलेट, दिल के डिफेक्ट्स, प्रीक्लेमसिया, जो कि एक घातक ब्लड प्रेशर डिसआर्डर से बचा जा सकता है। गर्भावस्था से पूर्व और दौरान रोजाना 400 माईक्रोग्राम्स फॉलिक एसिड के सेवन से नवजात बच्चे के दिमाग और स्पाइनल कोर्ड को प्रभावित होने से बचा जा सकता है। स्पीना बाइफिडा से जन्मजात कुरीति, जिसमें बच्चे की बैकबोन ठीक रूप से विकसित नहीं होती है, जबकि एक अन्य डिस्आर्डर एनेनसिफेली में नवजात का दिमाग विकसित नहीं हो पाता है। अधिकतर मामलों में बच्चों लंबी अवधि में जीवित नहीं रह पाते है। फॉलिक एसिड टिश्यूज के गठन और सेल्स के विकास में अहम योगदान है। फॉलिक एसिड का सेवन अंडों, संतरे के जूस, हरी  पत्तेदार सब्जियों और कई मल्टीविटामिंस गोलियों के सेवन रूप में किया जा सकता है। इस अभियान को आयाम देने वाले विटाबायोटिक्स के वाइस प्रेजिडेंट रोहित शैलेटकर ने बताया कि वैश्विक परिदृश्य में एक हजार नवजात बच्चों में से एक से दो मामले उभर कर आते हैं, जबकि भारत में चार से आठ प्रति 1000 नवजात के साथ यह आंकडा चौंकाने वाला है। दुर्भाग्यवश देश में जागरुकता का यह स्तर अत्यंत दयनीय है। देश में प्रति वर्ष चालीस हजार तक नवजात बच्चे डिफेक्ट्स के साथ पैदा होते हैं।


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