ट्रंप की नसीहत

By: Jan 3rd, 2018 12:07 am

नीरज मानिकटाहला, यमुनानगर (ई-पेपर के मार्फत)

अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पाकिस्तान को आतंकियों की पनाहगाह कहकर आर्थिक मदद देने से इनकार करना निस्संदेह स्वागतयोग्य कदम है। भले ही यह कदम देरी से उठाया गया हो, फिर भी पाकिस्तान के लिए एक सबक तो है ही। ट्रंप के मुताबिक बीते 15 सालों में 33 अरब डालर यानी कि 2145 अरब रुपए की सहायता धनराशि पाकिस्तान को दी गई। यह राशि उसने आतंकी संगठनों को पनाह देने व आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने में ही फिजूल खर्च की है। पाक को दी जाने वाली आर्थिक मदद रोकने के साफ संकेत देकर अमरीका ने पाकिस्तान को ऐसा तगड़ा झटका दिया है, जिससे वह पूरी तरह बौखला गया है। चूंकि पाक आतंकवाद की नर्सरी है, लिहाजा वह अपनी नापाक हरकतों से कदापि बाज नहीं आने वाला। ट्रंप के चेताने के बावजूद पड़ोसी मुल्क हक्कानी नेटवर्क सरीखे आतंकी संगठनों को पनाह देकर अफगानिस्तान में अशांति फैलाने वाले तत्त्वों को बिना रुके उकसाता रहा है। भारत भी सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे को समय-समय पर विश्व पटल पर उठाता रहा है। जाहिर तौर पर अमरीका की पाक को सख्त फटकार से भारत का उत्साहित होना स्वाभाविक है। चूंकि पाकिस्तान छल-कपट करने में माहिर है, तो समझदारी इसी में है कि उससे वार्ता जारी रखते हुए सीमा पार से उग्रवाद रोकने के उपाय मजबूत किए जाएं।

 


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