डाक्टरों की हड़ताल, मरीज बेहाल

By: Jan 3rd, 2018 12:02 am

नेशनल मेडिकल कमीशन के विरोध में प्रदर्शन निजी अस्पतालों में एक घंटे तक बंद रहीं ओपीडी

शिमला— नेशनल मेडिकल कमीशन बनाने के सरकार के नए प्रस्ताव के खिलाफ मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े देश भर के करीब तीन लाख डाक्टर हड़ताल पर रहे। इसी कमीशन के विरोध में हिमाचल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से जुड़े चिकित्सकों ने काले बिल्ले लगाकार विरोध किया। इस दौरान मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उधर, प्रदेश के निजी स्वास्थ्य संस्थानों में चिकित्सकों ने ओपीडी बंद रखीं। निजी स्वास्थ्य संस्थानों में एक घंटे तक स्वास्थ्य सुविधाओं का मरीजों को कोई लाभ नहीं मिला। हिमाचल प्रदेश मेडिकल आफिसर एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष व इंडियन काउंसिल ऑफ इंडिया के इलेक्टेड सदस्य जीवानंद का कहना है कि प्रदेश में अभी-अभी नई सरकार ने ज्वाइन किया है। इसी वजह से चिकित्सकों ने यह फैसला लिया कि वे इस बार शांतिपूर्ण ही विरोध करेंगे। दीगर रहे कि इंडियन मेडिकल काउंसिल को नेशनल मेडिकल कमीशन के बिल 2017 पर ऐतराज है। पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ही देश के हर मेडिकल कालेज की शिक्षा से लेकर कालेजों में मिलने वाली हर सुविधा को तय करती थी, लेकिन नए बिल के मुताबिक 60 प्रतिशत फीस मैनेजमेंट तय करेगी व मेडिकल कालेजों में शिक्षा से लेकर दूसरे हर कार्य में मेडिकल कमीशन ही निर्णय लेगा। वहीं, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में 130 सदस्य होते हैं, जिसमें हर राज्य के तीन प्रतिनिधि होते हैं, वहीं अब नए बिल के मुताबिक कुल 25 सदस्य होंगे, जिसमें सभी राज्यों से मात्र पांच प्रतिनिधी ही होंगे, बाकी सदस्य सरकार ही नियुक्त करेगी।

यह है विरोध का कारण

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया देश भर के मेडिकल प्रोफेशनल्स की प्रतिनिधि संस्था है। देश का कोई भी रजिस्टर्ड डाक्टर इसका चुनाव लड़ सकता है और अपनी वोट देकर अपना लीडर भी चुन सकता है, लेकिन मेडिकल कमीशन बनने के बाद इसमें सरकार द्वारा चेयरमैन और अन्य सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। बोर्ड मेंबर्स कैबिनेट सेक्रेटरी के अंडर काम करने वाली सर्च कमेटी चुनेंगे।


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