धार्मिक-कृषि के कामों पर बैन
खराहल — देवभूमि कुल्लू में सदियों से अद्भुत देव परंपरा का निर्र्वहन किया जा रहा है। ऐसी ही एक देव परंपरा जिला मुख्यालय से सटी खराहल घाटी के करीब नौ गांवों में निभाई जाती है। काईस से सटे धारा गांव के आराध्य देवता थिरमल नारायण के देव आदेश पर देवता के कारकूनों ने विशेष बरतन में जौ के जौरे बीजे। इसके साथ ही हारियान क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक गांवों के देवलुओं को देव आदेश लागू हो गए हैं, जिसके तहत आगामी 15 दिन तक इलाके में धार्मिक एवं कृषि कार्यों में पूर्ण पाबंदी रहेगी। वहीं इस दौरान गाली-गलौज नहीं कर सकता है। यही नहीं घर के मुखिया को रात के समय हारियान क्षेत्र से बाहर रहना वर्जित माना जाएगा। यह देव आदेश फाल्गुन संक्रांति तक मान्य रहेगा। इसके अलावा इलाके में कोई भी जंगली जानवरों का अवैध शिकार नहीं कर सकता है। मान्यता है कि इस दौरान देवता बाल्यकाल जैसी सुप्त अवस्था में रहते हैं। इस स्थिति में किसी के द्वारा किया गया कार्य देवता की सुप्त अवस्था को भंग कर सकता है, जिस कारण देवता नाराज हो जाते हैं। ऐसे में देवता का रूठना किसी भी हारियानों के लिए शुभ नहीं होता है। घाटी में देवता को विशेष स्थान दिया जाता है यहां के हारियनों द्वारा देवता के नियमों का उल्लंघन करना एक अपराध माना जाता है। देवता थिरमल नारायण के कारदार तोत राम ने कहा कि माघ माह की 15 प्रविष्टे को देवता थिरमल नारायण के देवालय में जौ के जौरे बीजे गए। देव आदेश के अनुसार 15 दिन तक धार्मिक एवं कृषि कार्य पर पाबंदी रहेगी। इसके साथ ही फागली उत्सव की तैयारियां भी शरू हो गई हैं। उन्होंने कहा कि 15 दिन बाद धारा गांव में फागली उत्सव होगा।
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