प्रदेश यूनिवर्सिटी में तीन प्रोमोशन रुकीं

By: Jan 16th, 2018 12:05 am

 शिमला — प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा सरकार के आदेशों के बाद तीन कर्मचारियों की पदोन्नति करने का मामला अभी भी नहीं सुलझा है।  तीन पदोन्नतियां विवि प्रशासन की ओर से की जानी हैं, जिनके आदेश विवि ने सरकार के निर्देशों पर रोक रखे हैं। मामले को कर्मचारियों ने विवि प्रशासन के समक्ष उठाने के बाद शिक्षा मंत्री के समक्ष  भी रखा है, लेकिन इस पर अभी तक फैसला नहीं हो पाया है। फैसला न होने के चलते अब कर्मचारी संघ का विरोध मामले में बढ़ता जा रहा है। मामले के तहत एचपीयू प्रशासन की ओर से विवि में तीन कर्मचारियों के पदोन्नति आदेश सरकार के निर्देशों के बाद रद्द किए गए हैं। पहली जनवरी को ही ये आदेश विवि ने जारी किए थे और उसी दिन उन्हें रद्द भी कर दिया गया। एचपीयू ने कुल उपसचिव, अनुभाग अधिकारी और अधीक्षक के पद पर एक-एक कर्मचारियों/ अधिकारियों के पदोन्नति आदेश नियमानुसार जारी किए थे, लेकिन उन्हें जारी करने के साथ ही रद्द भी किया गया। इसके बाद इसका विरोध विवि प्रशासन की ओर से जताया जा रहा है। हालांकि विवि कर्मचारियों द्वारा जब यह मामला शिक्षा मंत्री के समक्ष रखा गया था तो उस समय शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया था कि नकारात्मक दृष्टि से और बदले की भावना से कोई भी पुरानी सरकार व स्वायत्त संस्थान द्वारा लिए गए फैसले नहीं बदले जाएंगे और जल्द ही रोके गए फैसलों की समीक्षा कर उन्हें जारी किया जाएगा, लेकिन अभी तक पदोन्नति के आदेश जारी न होने के चलते कर्मचारियों का विरोध बढ़ता जा रहा है। कर्मचारी अधिकारियों का कहना है कि पदोन्नतियों के मामलों को जिन्हें सरकार ने रुकवाया है, वह फैसले भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत वित्त समिति व कार्यकारिणी परिषद की सिफारिशों के बाद सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय एक स्वायत्त संस्थान है और आदर्श आचार संहिता के चलते चुनाव आयोग की स्वीकृति के बाद ही नवंबर व दिसंबर, 2017 में भी कुछ अधिकारियों- कर्मचारियों के पदोन्नति आदेश जारी हुए हैं, जबकि प्रदेश सरकार के कुछ अन्य विभागों को भी पदोन्नति मामलों में चुनाव आयोग ने अपनी स्वीकृति  नहीं दी थी। अब ऐसे में एचपीयू के कर्मचारियों की पदोन्नति के आदेश रद्द करना तर्कसंगत नहीं है।


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