फौज के खिलाफ नहीं होगी जांच

By: Jan 31st, 2018 12:05 am

जम्मू-कश्मीर पुलिस के एफआईआर दर्ज करने के बाद आर्मी की दोटूक, आत्मरक्षा को फायरिंग

श्रीनगर— सेना ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिला में बेकाबू भीड़ पर आत्मरक्षा में की गई फायरिंग में दो स्थानीय लोगों की मौत के मामले की आंतरिक जांच नहीं कराई जाएगी, क्योंकि इसमें सेना की मानक कार्य प्रक्रिया (एसओपी) का उल्लंघन नहीं हुआ है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने घटना में शामिल सैन्यकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। हालांकि सेना के सूत्रों का कहना है कि इस मामले में मुकदमा चलाने के लिए राज्य पुलिस को केंद्र से मंजूरी लेनी होगी। सेना के सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि गत शनिवार को हुई इस घटना में सेना को जान-माल की हिफाजत के लिए गोली चलानी पड़ी, जिसमें दो स्थानीय लोगों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि इस मामले में मानक कार्य प्रक्रिया का कहीं कोई उल्लंघन नहीं हुआ है और इसलिए आंतरिक जांच कराने की कोई जरूरत नहीं है।  इस मामले में काफिले को लीड कर रहे मेजर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, हालाकि वह मौके पर मौजूद नहीं थे। सूत्रों का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि प्राथमिकी दल के प्रमुख के नाम ही दर्ज की जाती है। राज्य सरकार ने इस मामले में मजिस्ट्रेट जांच का भी आदेश दिया है और 20 दिन में रिपोर्ट देने को कहा है।

मेजर गोगोई मामले की तरह साथ देगी सेना

सेना के सूत्रों का कहना है कि मेजर लिटुल गोगोई के मामले की तरह इस मामले में भी सेना बतौर संगठन अपने सैनिकों के साथ खड़ी रहेगी। गौरतलब है कि घाटी में पत्थरबाजी से बचने के लिए स्थानीय युवक को जीप से बांधे जाने के लिए जिस मेजर लिटुल गोगोई को जिम्मेदार समझा गया था, उन्हें आर्मी चीफ ने कमेंडेशन (प्रशस्ति) कार्ड दिया था। सूत्रों का कहना है कि मेजर गोगोई के मामले में विवाद के जरिए सवाल उठाने की कोशिश की गई थी, लेकिन ताजा मामले में किसी तरह का कोई संदेह नहीं है।

स्वामी बोले, एफआईआर वापस लो नहीं तो गिरेगी सरकार

नई दिल्ली — जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिला में पुलिस कार्रवाई में दो युवकों की हुई मौत के बाद राज्य की पीडीपी और भाजपा गठबंधन में जारी तनाव फिर सामने आ गया है। सेना के जवानों पर दर्ज एफआईआर किए जाने से भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी गुस्से में है और महबूबा सरकार को नसीहत दे रहे हैं। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने मंगलवार को कहा कि यह क्या मजाक है? सरकार को गिराओ। महबूबा मुफ्ती से कहो कि एफआईआर वापस लें या उनकी सरकार जाएगी।

महबूबा अड़ीं, सोशल मीडिया पर मुहिम

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जांच को तार्किक नतीजे तक पहुंचाया जाएगा। उधर, सोशल मीडिया पर एफआईआर के दायरे में आए मेजर को बचाने के लिए मुहिम शुरू कर दी गई है।

ऐसा है फायरिंग का मामला

सेना के सूत्रों के अनुसार 10 गढ़वाल राइफल की बटालियन का 20 गाडि़यों का काफिला पखारपोरा से बालापोरा कुलगाम जा रहा था। इस काफिले में तीन त्वरित कार्रवाई टीम भी चल रही थी। वहां जाने के लिए दो रास्ते थे, जिनमें से एक केल्लर होकर जाता था, जहां सुबह पत्थरबाजी की घटना हुई थी, इसलिए उस रास्ते को छोड़कर सुरक्षित गनावपोरा का रास्ता चुना गया। यह काफिला गनावपोरा की ओर मुड़ रहा था, लेकिन पीछे की चार गाडि़यां सीधी निकल गई। ये गाडि़यां महज 100 मीटर गई थी कि इन्हें गलती का अहसास हो गया और जब ये वापस मुड़ रही थी तो स्थानीय लोगों ने उन्हें घेर लिया और पथराव शुरू कर दिया। इस पर एक जेसीओ उनसे बात करने के लिए नीचे उतरे तो भीड़ ने उन पर हमला कर दिया पत्थर उनके सिर पर लगने से वह नीचे गिर गए। सूत्रों के अनुसार इस बीच भीड़ ने उग्र रूप धारण कर लिया, जिस पर सेना को हवा में फायरिंग करनी पड़ी। भीड़ बढ़ रही थी और वे लोग गाडि़यों को आग लगाने की तैयारी कर रहे थे, जिससे सेना को जान माल की हिफाजत में गोली चलानी पड़ी जिससे दो लोगों की मौत हो गई। इस पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सेना पर एफआईआर दर्ज कर ली।


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