बहुत पुराना है तेल का यह कारोबार

By: Jan 30th, 2018 12:01 am

2012 की सरकारी पाबंदी के बाद भी चलता रहा गोरखधंधा, विभाग अनजान

नेरवा, चौपाल – चौपाल वनमंडल के तहत आने वाले सरांह वन परिक्षेत्र के देवदार के सघन वनों में सिडार वुड ऑयल यानी देवदार के तेल, जिसे स्थानीय भाषा में केलों का तेल भी कहते हैं का अवैध धंधा नया नहीं है। सरांह रेंज के जंगलों में यह धंधा दशकों से चल रहा है। सरांह के जंगल वन माफिया के सबसे ज्यादा निशाने पर रहे हैं। वन माफिया की सक्रियता के चलते इस फोरेस्ट रेंज में वन संपदा को व्यापक नुकसान पंहुचाया जाता रहा है। पूर्व में भी इस रेंज में लकड़ी तस्करी व देवदार के तेल की तस्करी के कई मामले सामने आ चुके हैं। तस्करी के मामले में इस रेंज को अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है। कुछ साल पहले तक सिडार वुड ऑयल निकलने की वन विभाग द्वारा परमिट बनाकर सशर्त मंजूरी दी जाती थी व इसे मंडियों तक पंहुचाने के लिए भी बाकायदा अलग से एक्सपोर्ट परमिट बनाए जाते थे, परंतु साल 2012 के आसपास सिडार वुड निकालने  पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई। सरकारी पाबंदी के बावजूद इस धंधे से जुदा कथित माफिया गैर कानूनी तौर पर सिडार वुड ऑयल निकालकर इसे चोरी से मंडियों में पंहुचा रहा है और यह सारा गोरखधंधा विभाग के नाक तले हो रहा है। हैरानी इस बात की है कि वन विभाग आज तक सिडार वुड ऑयल तस्करों की गतिविधियों से अनजान रहा। सिडार वुड ऑयल की तस्करी के काले धंधे का उस समय पर्दाफाश हुआ, जब वन विभाग के एक वनरक्षक ने 23 जनवरी की रात सिडार वुड ऑयल की भट्ठी पर छापेमारी करते हुए 200 लीटर अवैध सिडार वुड ऑयल बरामद किया। इस वनरक्षक पर जब जब्त किए गए सिडार ऑयल छोड़ने व मामला रफादफा करने का दबाव बनाया जाने लगा, तो उसने एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में डाल दिया। वीडियो वायरल होने के बाद विभाग में हड़कंप मच गया व एक विशेष दल का गठन कर सरांह रेंज के तहत छापेमारी की गई, जिसके फलस्वरूप विभागीय टीम ने दो दिन में करीब बीस हजार लीटर अवैध सिडार वुड ऑयल बरामद कर इस धंधे का पर्दाफाश किया।

ऐसा निकलता है ऑयल

सिडार वुड ऑयल निकालने के लिए देवदार के पुराने पेड़ काटे जाते हैं, फिर एक विशेष प्रकार की भट्ठी में उन पेड़ों की गांठों व जड़ों से तेल निकला जाता है।

 


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