मुख्यमंत्री ने खुश कर दिया सराज

By: Jan 8th, 2018 12:10 am

बगस्याड़ को सिविल अस्पताल, थुनाग में आईपीएच डिवीजन और जंजैहली में पर्यटन को २0 करोड़

जंजैहली, थुनाग- मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार रविवार को अपने विधानसभा क्षेत्र सराज पहुंच जयराम ठाकुर ने जनता को कई तोहफे दिए। मुख्यमंत्री ने बगस्याड़, थुनाग और जंजैहली में जनसभाओं को संबोधित किया और  कई घोषणाएं कीं। उन्होंने बगस्याड़ में सिविल अस्पताल, थुनाग में आईपीएच डिवीजन, जंजैहली में टूरिज्म कल्चर को 20 करोड़ और ईको टूरिज्म क्लब को 50 लाख देने की घोषणा की। जनसभा को संबोधित करने हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सराज का सपना अब सच हुआ है। चुनाव में लोगों ने शिखर पर सराज का नारा दिया था और यह नारा अब पूरा हुआ है। इससे पहले मुख्यमंत्री रविवार सुबह नौ बजे पड्डल मैदान पहुंचे और पंडोह के पास बग्लामुखी मंदिर, बाखली मंदिर में धर्मपत्नी डा. साधना सिंह के साथ पूजा-अर्चना की। इसके बाद मुख्यमंत्री का तीन दर्जन से अधिक जगहों पर स्वागत हुआ। थुनाग में सीएम ने कहा कि प्रदेश के लोगों ने उन्हें नई जिम्मेदारी सौंपी है, जिसे वह निष्ठापूर्वक निभाएंगे। उन्होंने सराज की जनता का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुश्किल समय में भी लोग उनके साथ खड़े रहे और उन्हीं के आशीर्वाद से वह पांचवी बार विधानसभा पहुंचे हैं। चुनाव के दौरान यह भ्रम फैलाया जा रहा था कि सराज में कांग्रेस उम्मीदवार काफी मजबूत स्थिति में है, लेकिन मैं लोगों का आभारी हूं कि उन्होंने 11500 मतों के बड़े अंतर से मुझे विजयी बनाया। यही नहीं, पूरे जिला में कांग्रेस एक सीट तक नहीं जीत पाई और भाजपा को भरपूर समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि जो मुकाम उन्हें हासिल हुआ है उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। अब समय आ गया है कि मैं क्षेत्र के लिए काम करूं और लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरूं। इस अवसर पर उनके साथ आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, नाचन विधायक विनोद कुमार और दं्रग विधायक जवाहर ठाकुर भी उपस्थित रहे। थुनाग में शिकारी माता मंदिर कमेटी ने मुख्यमंत्री राहत कोष में 50 हजार का चेक भेंट किया। सराज घाटी ट्रक आपरेटर सहकारी समिति ने भी राहत कोष में 11 हजार तथा मंदिर समिति राजस्व विभाग तथा रेडक्रॉस सोसायटी जंजैहली ने बालीचौकी तहसील के धार गांव के अग्नि प्रभावितां के लिए एक लाख रुपए का चेक भेंट किया।

याद आया बचपन

बगस्याड़ की जनसभा में मुख्यमंत्री अपने बचपन में भी चले गए। उन्होंने कहा कि उनकी स्कूली शिक्षा बगस्याड़ से हुई है और इस क्षेत्र से उनकी कई यादें जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि वह बगस्याड़ से शिक्षा ग्रहण करने के लिए तांदी से नौ किलोमीटर पैदल चल कर आते थे।


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