वाटर गार्डों को आस…नहीं करेंगे सीएम निराश

By: Jan 5th, 2018 12:05 am

घुमारवीं – पंचायतों के माध्यम से रखे गए प्रदेश के हजारों वाटर गार्डों को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से रेगुलर करने की आस है। वाटर गार्डों को रेगुलर करने की पॉलिसी को शीघ्र अमलीजामा पहनाने की मांग ऑल हिमाचल पीडब्ल्यूडी-आईपीएच एंड कन्ट्रैच्युल वर्कर्ज यूनियन ने सीएम से की है, जिससे पंचायतोंं के माध्यम से रखे गए वाटर गार्डों को राहत मिल सके।  जानकारी के मुताबिक आईपीएच विभाग में पंचायतों के माध्यम से वर्ष 2006 में लगभग चार हजार वाटर गार्ड अंशकालीन आधार पर सरकार द्वारा रखे गए थे। वाटर गार्डों को प्रतिदिन दो घंटे काम करने का 750 रुपए मासिक वेतन दिया जाता था। इन वाटर गार्डों के साक्षात्कार के लिए विभाग ने चेयरमैन आईपीएच  विभाग के सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता को सदस्य और पंचायत के प्रधान को सदस्य नियुक्त किया है। इसी कमेटी द्वारा वाटर गार्डाें को नियुक्त किया गया है। ऑल हिमाचल पीडब्ल्यूडी-आईपीएच एंड कन्ट्रैच्युल वर्कर्ज यूनियन के राज्य अध्यक्ष सीता राम सैणी ने यहां पर जारी बयान में कहा कि वाटर गार्डों का काम जल भंडारों से लोगों के लिए पानी छोड़ना तथा व्हील वालव कंट्रोल करके लोगों को पानी भरवाना होता है, जिसके बाद इन वाटर गार्डों द्वारा पाइप लाइन की माइनर रिपेयर करना और पानी के टैंकों में क्लोरोनेशन करना होता है, परंतु यह सारा काम वाटर गार्ड दो घंटे में नहीं कर पाते थे। उनको कम से कम  पांच घंटे काम करना पड़ता था। इसी तरह वर्ष 2012 में सरकार ने दो हजार के लगभग और वाटर गार्ड विभाग में लगाए गए ड्यूटी समय दो घ्ांटे की बजाय चार घंटे कर दिया गया, परंतु मासिक वेतन 750 से बढ़ाकर 1350 कर दिया। इस प्रक्रिया से वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। विभाग में लगभग छह हजार के लगभग वाटर गार्ड कार्यरत हैं और चार घंटे की बजाय सात से आठ घंटे काम करते हैं। क्योंकि आईपीएच विभाग में स्टाफ  की बहुत कमी है और हजारों बेलदारों और हेल्परों के पद भी रिक्त चल रहे हैं। सैणी ने कहा कि यूनियन पिछले दस वर्षों से सरकार से वाटर गार्डों को रेगुलर करने की नीति बनाने की मांग कर रही है। इस मुद्दे पर यूनियन की 18 मार्च 2017 को सचिवालय में मुख्यमंत्री से मींटिग हुई थी, जिसमें उन्होंने वाटर गार्डों को रेगलुर करने की नीति बनाने के आदेश दिण् थे। सरकार ने सितंबर माह में वाटर गार्डों को रेगुलर करने की नीति बनाई है, जिसे वर्तमान सरकार निरस्त कर सकती है। उन्होंने कहा कि पंचायत वाटर गार्डों से विभाग के अधिकारी पंप मोटर चलाने का कार्य, फिल्ड में फिटर का कार्य भी ले रहे हैं, क्योंकि विभाग के पास स्टाफ  की बहुत कमी है। उन्होेंने कहा कि वाटर गार्डाें की नई सरकार से उम्मीद है कि सरकार इस वर्ग के नियमतिकरण के लिए नीति बनाएगी, जिससे पंचायतों के माध्यम से रखे गए वाटर गार्डों को राहत मिल सके।


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