विकास करवाओ…तगमे मत दो

By: Jan 25th, 2018 12:05 am

जिला चंबा को पिछड़े जिला में 114वां स्थान मिलने से प्रदेश के राजनेताओं द्वारा अब तक किए प्रयासों को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। प्राचीनकाल में विकसित रहे इस जिला को आखिर इस पायदान तक पहुंचाने में क्या-क्या कारण रहे हैं आइए पढ़ें क्षेत्र के बुद्धिजीवियों के विचार ‘दिव्य हिमाचल’ स्टाफ रिपेर्टर मान सिंह वर्मा की कलम से…

सुविधाओं की कमी से हर कोई बेहाल

प्रताप चंद ने अपने विचार रखते हुए कहा कि अत्याधुनिकता के साथ कनेक्टिविटी से बैकफुट पर खिसके पहाड़ी जिला चंबा को पिछड़ी सूची में ला कर खड़ा कर दिया है। ब्रिटिश काल में यहां पर पहुंचने वाले अंगे्रज भी चंबा को अचंभा कह गए, लेकिन जिन पहाड़ों एवं जंगलों ने सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित किया उस तरह से पर्यटन को पंख नहीं लग पाए। जिला में पहुंचने वाला हर सैलानी यहां पहुंच कर सुविधाओं को तरसता है। यही वजह है कि चंबा जिला पिछड़ेपन का शिकार हुआ है।

कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति जिम्मेदार

इस बारे में खेम वर्मा ने कहा कि संसधानों के बगैर मेहनती एवं ईमानदार जिला के लोगों ने दिन रात मेहनत कर अपने आप को मिडल पोजिशन पर पहुंचा दिया है। किसानों ने खेतों में पसीना बहाया, भेड़पालकों ने प्रचंड गर्मी, हाड़ कंपा देने वाली ठंड एवं ओलोें की परवाह किए बगैर कांटों भरी जमीन पर राते काट कर बच्चों को मास्टर, डाक्टर, इंजीनियर एवं साइंटिस्ट तक बना दिया, लेकिन 5जी की स्पीड पकड़ने जा रहे प्रदेश के  चंबा जिला में अभी भी विकास की रफ्तार 2जी पर टिकी है जो पिछड़ेपन के लिए  हाबी हुई।

चंबा पिछड़ा नहीं, बल्कि अविकसित

अमर सिंह ने अनुसार केंद्र एवं प्रदेश सरकार की ओर से जिला चंबा के लिए जो योजनाएं बनाई धरातल पर उतरने की बजाए योजनाएं ही रह गई, जिससे चंबा का विकास नहीं हो पाया। जनजातीय क्षेत्र भरमौर एवं पांगी के बागीचों में लगने वाले उचित किस्म के सेब को बाहरी मंडी का इंतजार आज भी है। फलों एवं सब्जियों को उचित दाम न मिल पाने एवं उन्हें मंडियों तक ले जाने के  लिए उचित व्यवस्था न होने से मेहनती जिला पिछडे़पन को चौला पहन बैठा।

रोजगार की आस में बीती जवानी

प्रेम कहते हैं कि जिला में प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं है। बरसों से लटके सीकरीधार सीमेंट प्लांट का कार्य शुरू न होने से बेरोजगार बूढ़े हो गए। जो पिछड़ेपन का सबसे बड़ा उदाहरण है। चंबा ने भले ही अपनी जमीन को छलनी कर बाहरी प्रदेशों को रोशन कर दिया, लेकिन यहां के कई गांव आज रोशन नहीं हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि भले ही जिला को पिछड़ा घोषित होने से यहां पर विकास रफ्तार पकड़ेगा, लेकिन चंबावासियों एवं राजनेताओं के लिए यह एक धब्बा है।

पिछड़ेपन का दाग मिटाना चैलेंज

गुरदयाल के अनुसार देश के सभी जिलों का सर्वे करने के बाद ही पिछड़ेपन की रिपोर्ट तैयार की गई है। केंद्र सरकार की ओर से चंबा को पिछड़ेपन की सूची में 114 वें स्थान पर शामिल किया। जो यह साबित कर रहा है, कहीं न कहीं कमियां जरूर हैैं। उन्होंने कहा कि  सरकार एवं राजनेताओं के लिए अब यह चैलेंज होगा कि वे जिला को पिछड़ेपन से विकसित कैसे बनाएंगे, जिसके लिए पायलट प्रौजैक्ट पर कार्य करना होगा।

आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कारण

स्थानीय निवासी मोती का कहना है कि चंबा के पिछड़ेपन के लिए राजनीति कारण हाबी रहे हैं। उन्होंने कहा की राजनीतिज्ञों की अनदेखी से ही आजादी के सात दशक बाद भी चंबा में स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, पानी जैसी प्रोपर नहीं मिल रही हैं। सतह में आने के बाद राजनेताओं ने विकास की आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति की ओर अधिक ध्यान दिया, जिससे जिला बैकफुट पर खिसकता गया।


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