सुविधाएं मिले, तो रुकेगा पलायन

By: Jan 5th, 2018 12:05 am

नाहन – यदि उत्तराखंड की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी उद्योगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं, तो औद्योगिक पैकेज के बाद जिला से रुखसत हो रहे उद्योगों का पलायन रोका जा सकता है। जानकारी के मुताबिक जिला सिरमौर में औद्योगिक पैकेज के दौरान करीब 1500 से अधिक कारखाने जिला सिरमौर में लगे थे, लेकिन औद्योगिक पैकेज की अवधि समाप्त होने के बाद जिला सिरमौर से 80 प्रतिशत से अधिक कारखाने या तो बंद हो चुके हैं या फिर उद्योगपतियों ने पलायन कर लिया है। औद्योगिक पैकेज के दौरान जिला सिरमौर के कालाअंब, पांवटा साहिब, धौलाकुआं व त्रिलोकपुर आदि क्षेत्रों में सैकड़ों उद्योग स्थापित हुए थे। इन उद्योगों में करीब 40 हजार से अधिक बेरोजगार युवाओं को रोजगार मुहैया हो रहा था, लेकिन आज स्थिति यह है कि जिला सिरमौर में स्थापित कारखानों में केवल आठ से 10 हजार युवा ही कार्यरत हैं। जानकारी के मुताबिक जिला में स्थापित कारखानों के बंद होने से न केवल जिला सिरमौर में बल्कि प्रदेश समेत हिमाचल के साथ लगते हरियाणा में भी बेरोजगारी की फौज खड़ी हो रही है। उद्योगपतियों का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा औद्योगिक पैकेज के दौरान उद्योगपतियों को आमंत्रित कर फैक्ट्रियां तो स्थापित करवा दी हैं, लेकिन उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाना भूल गई। आज स्थित यह है कि उद्योगों में सरकार द्वारा पेयजल तक उपलब्ध नहीं करवाया गया है। आज भी जो उद्योगपति फैक्ट्रियां चला रहे हैं, वे टैंकरों से पानी मंगवा रहे हैं। उद्योगपतियों का कहना है कि यदि उत्तराखंड की तर्ज पर जिला सिरमौर में भी उद्योगपतियों को अच्छी सड़कें, सीवरेज, पेयजल व अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध करवाएं तो न केवल उद्योगों का पलायन रुकेगा बल्कि अन्य उद्योग भी जिला सिरमौर में निवेश करेंगे। यही नहीं उद्योगपतियों का कहना है कि कालाअंब व पांवटा साहिब से अधिकतर उद्योगपति देहरादून, यमुनानगर, नारायणगढ़ अथवा चंडीगढ़ से अप डाउन करते हैं, क्योंकि औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योगपतियों को ठहरने की उचित व्यवस्था नहीं है। उद्योगपतियों का कहना है कि यदि सरकार उद्योगपतियों को आवासीय कालोनी बनाने के लिए भूमि उपलब्ध करवाए तो जो उद्योगपति चंडीगढ़ अथवा देहरादून जाते हैं वे औद्योगिक क्षेत्रों में रहेंगे। बताते हैं कि देहरादून, चंडीगढ़, अंबाला व यमुनानगर आदि से उद्योगपतियों का आने जाने में करीब दो घंटे का समय बर्बाद होता है। यदि उनकी रिहायश औद्योगिक क्षेत्रों में ही हो तो दो घंटे का समय वे कार्य में लगा सकते हैं।

ये सुविधाएं मिले तो बने बात

उद्योगपतियों का कहना है कि जिस प्रकार उत्तराखंड सरकार ने इंडस्ट्रीयल एरिया विकसित किए हैं यदि उसी तर्ज पर प्रदेश में भी औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जाएं तो उद्योगपति लंबे समय के लिए निवेश करेंगे। यही नहीं इसके अलावा उद्योगों को पेयजल, सीवरेज व्यवस्था तथा अन्य सुविधाएं अगर मुहैया करवाई जाएं तो कोई भी उद्योगपति जिला से पलायन नहीं करेगा। अधिकतर कारखाने पीने का पानी तक खरीदकर लाते हैं। जिला सिरमौर में सरकार द्वारा इंडस्ट्ररी एरिया डिवेलप नहीं किए हैं। अधिकतर उद्योगों ने निजी भू-मालिकों से जमीनें खरीदी हैं, जबकि सरकार को स्वयं भूमि खरीदकर इंडस्ट्रीयल एरिया बनाने चाहिए।


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