सोलन में 62 को कुष्ठ रोग

By: Jan 31st, 2018 12:05 am

 सोलन— जिला भर में कुष्ठ रोग के मामले कम होने में नहीं आ रहे हैं। बीते एक वर्ष में 42 कुष्ठ रोग के मामले सामने आए हैं। पुराने मामलों को मिलाकर कुष्ठ रोगियों की संख्या 62 तक पहुंच गई है, हालांकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा दावा किया जा रहा है कि इनमें से आधे रोगियों को नियमित उपचार के बाद ठीक कर दिया गया है।  जानकारी के अनुसार बाहरी राज्यों से बीबीएन क्षेत्र में काम करने के लिए आने वाले मजदूरों में कुष्ठ रोग की बीमारी सबसे अधिक पाई जा रही है। यूपी, बिहार, झारखंड सहित कई राज्यों के मजदूर  यहां पर उद्योगों में काम करने के लिए आते हैं। इन उद्योगों में हिमाचली भी काम करते हैं, जिसकी वजह से यह बीमारी स्थानीय लोगों को भी अपनी चपेट में ले लेती है। इसी प्रकार परवाणू में भी कुष्ठ रोग के मामले सबसे अधिक सामने आए हैं। अर्की, सायरी तथा आसपास के क्षेत्रों से भी कुष्ठ रोग के मामले सामने आने की वजह से स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन क्षेत्रों में विशेष नजर रखी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार बीते एक वर्ष में कुष्ठ रोग के कुल 42 मामले सामने आए थे, जिसमें से बीस रोगी उपचार के बाद बिलकुल स्वस्थ हो गए हैं, जबकि 22 रोगियों का उपचार अभी तक रहा है। बताया जा रहा है कि अधिकतर रोगी बाहरी राज्यों के हैं। दावा यह भी किया जा रहा है कि इन रोगियों को भी जल्द ही उपचार के साथ पूर्ण रूप से ठीक कर दिया जाएगा। इसके अलावा बीस कुष्ठ रोगी चंबाघाट स्थित अस्पताल में दाखिल हैं। इनमें दो गैर हिमाचली व 18 रोगी शामिल हैं। अधिकतर रोगी हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, शिमला तथा मंडी क्षेत्र के बताए जा रहे हैं। ये रोगी बीते कई दशक से यहां पर रह रहे हैं तथा पूर्ण रूप से सरकार पर ही निर्भर हैं। इन रोगियों में कुष्ठ रोग तो ठीक हो गया है, लेकिन अब परिवार के सदस्य इन्हें अपनाने के लिए तैयार नहीं है। इस लिए यह अस्पताल ही इनकी परिवार व घर है। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डा. उदित का कहना है कि कुष्ठ रोग के प्रति लोग काफी जागरूक हैं। यही वजह है कि इस बीमारी के लक्ष्य शुरू होते ही उपचार के लिए आ जाते हैं। उन्होंने कहा के अधिकतर रोगियों को उपचार के बाद पूर्ण रूप से ठीक कर दिया जाता है। कुष्ठ रोग का उपचार राष्ट्रीय कुष्ट रोग मिशन के तहत मुफ्त किया जाता है। प्रत्येक वर्ष केंद्र सरकार इस बीमारी के उपचार पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। इसके सबके बावजूद यह बीमारी खत्म होने में नहीं आ रही है।


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