117 साल बाद कर्नल बड़ोग की कब्र की तलाश
रेलवे बोर्ड सुरंग को दिलाएगा पहचान, पर्यटन के लिहाज से विकसित होगा क्षेत्र
सोलन- कालका-शिमला रेल ट्रैक पर 117 वर्ष बाद भारतीय रेलवे बोर्ड कर्नल बड़ोग की कब्र को खोजने का कार्य करेगा। कर्नल बड़ोग की कब्र बड़ोग व आसपास के क्षेत्रों में बताई जा रही है। यदि यह कब्र मिलती है तो रेलवे बोर्ड इसे पर्यटन की दृष्टि से विकसित करेगा। जानकारी के अनुसार कालका-शिमला रेलवे ट्रैक पर स्थित बड़ोग रेलवे स्टेशन का नाम कर्नल बड़ोग के नाम पर ही रखा गया है। बात 1898 की है। इस दौरान कालका-शिमला रेल ट्रैक का कार्य प्रगति पर था। बड़ोग में सुरंग बनाए जाने का जिम्मा ब्रिटीश सरकार ने कर्नल बड़ोग को सौंपा। करीब दो वर्ष के बाद जब काम अंतिम चरण में था तो पता चला कि सुरंग के दोनों छोर नहीं मिल रहे हैं। ब्रिटीश सरकार ने कर्नल बड़ोग को एक रुपए का जुर्माना लगा दिया, जो कि वर्तमान करंसी के अनुसार करीब 1500 रुपए के बराबर है। कर्नल बड़ोग इस घटना से काफी शर्मिंदा हुए तथा उन्होंने अपने आप को गोली मार ली। बताया जाता है कि कर्नल बड़ोग ने पाइनवुड होटल बड़ोग के समीप खुद को गोली मारी थी, लेकिन बाद में यह बात भी सामने आई कि उन्होंने उसी स्थान पर आत्महत्या कर ली थी, जहां पर सुरंग बनाए जाने का कार्य चल रहा था। कई वर्ष पहले पुरानी सुरंग के समीप कर्नल बड़ोग और उनके कुत्ते की कब्र भी कुछ लोगों ने देखी, मगर वर्तमान में यहां कोई चिन्ह मौजूद नहीं है। अब उत्तर रेलवे बोर्ड ने कर्नल बड़ोग की कब्र को खोजने का कार्य शुरू किया है। यदि कर्नल बड़ोग की कब्र मिल जाती है तो वहां पर रेलवे बोर्ड द्वारा इस एक समारक के रूप में विकसित किया जाएगा। उत्तर रेलवे बोर्ड अंबाला के डीआरएम दिनेश कुमार का कहना है कि कर्नल बड़ोग का इतिहास कालका-शिमला रेल ट्रैक से जुड़ा है। इसे पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा।
हिरिंगटन ने बाबा भलकू की मदद से पूरा किया काम
1900 में जब कर्नल बड़ोग सुरंग को बनाने में विफल रहे थे तो इस काम का जिम्मा ब्रिटीश सरकार ने एचएस हिरिंगटन को दिया था। उन्होंने स्थानीय संत बाबा भलकू की मदद से वर्ष 1903 में सुरंग का काम पूरा किया। सुरंग की लगाई 1143 मीटर है तथा उस समय इसे बनाए जाने की लागत 8.40 लाख रुपए आई थी।
Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also, Download our Android App