7.3 फीसदी रहेगी जीडीपी ग्रोथ

By: Jan 15th, 2018 12:07 am

मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में अनुमान, 2020-22 के दौरान बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

नई दिल्ली  – भारतीय अर्थव्यवस्था की औसत वृद्धि दर 2020-22 के दौरान 7.3 प्रतिशत रहेगी। मॉर्गन स्टेनली की शोध रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी के अनुसार, मध्यम अवधि के परिदृश्य के हिसाब से भारत की संरचनात्मक वृद्धि की कहानी मजबूत रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी निवेश चक्र में सुधार होगा और इसकी शुरुआत 2018 में होने की उम्मीद है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि अर्थव्यवस्था सतत और उत्पादक वृद्धि चक्र में प्रवेश कर गई है। रिपोर्ट में कहा गया है, हमारा अनुमान है कि 2020-22 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की औसत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहेगी। इसमें कहा गया है कि कुल नीतिगत मोर्चे पर भी समर्थन मिलेगा, जिससे उत्पादकता में और सुधार होगा। इससे वृहद स्थिरता के जोखिमों को सीमित रखने में मदद मिलेगी। मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि 2018 में निजी निवेश खर्च में सुधार होगा, जिसकी कुल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों की आय को लेकर उम्मीदें और बही खातों के आधार में सुधार और साथ में वित्तीय प्रणाली मजबूत होने से निवेश के लिए ऋण की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे में हमारा अनुमान है कि 2017 के 6.4 प्रतिशत से 2018 में वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी और 2019 में यह 7.7 प्रतिशत पर होगी।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग की नए सिरे से गणना करेगा वर्ल्ड बैंक

नई दिल्ली— विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री पॉल रोमर की ओर से कुछ देशों की कारोबार सुगमता रैंकिंग की विश्वसनीयता पर संदेह जाहिर करने के बाद अब विश्व बैंक ने सफाई दिया है कि रैंकिंग के संकेतक और तरीका किसी एक देश को ध्यान में रखकर तैयार नहीं किए गए हैं। ये रैंकिंग पूरी तरह ‘ठोस आंकड़ों’ पर आधारित है। विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री रोमर ने एक साक्षात्कार में कहा है कि संगठन ने कारोबार सुगमता रैंकिंग की पद्धति में इस तरीके से बदलाव किया है कि वह अनुचित तथा गुमराह करने वाला लगता है। इसलिए संगठन कम से कम पिछले चार साल के लिए रैंकिंग की नए सिरे से गणना करेगा। विश्व बैंक ने इसके बाद जारी बयान में कहा है कि हम अपने शोध में सभी देशों को समान रूप से देखते हैं। कारोबार सुगमता संकेतक और कार्य-पद्धति किसी एक देश को ध्यान में रखकर नहीं बनाए गए हैं। इसे ऐसे बनाया गया है कि समग्र कारोबारी माहौल में सुधार लाया जा सके।


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