अब यूरिन से तैयार होगा यूरिया

By: Feb 24th, 2018 12:01 am

पर्यावरण बचाव के साथ जैविक पैदावार को मिलेगा बढ़ावा

धर्मशाला  – हिमाचल के किसानों और बागबानों के लिए अभिशाप बन चुके यूरिया की जगह अब यूरिन प्रयोग में लाया जाएगा। प्रदेश में किसानों-बागबानों की फसलों की पैदावार को जैविक तरीके से बढ़ाने के लिए यूरिन का प्रयोग कर इसे खाद की जगह इस्तेमाल किया जाएगा। बेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के नेशनल एडवाइजर डा. राकेश कपूर ने ‘दिव्य हिमाचल’ से विशेष बातचीत में बताया कि जल्द ही प्रदेश में इस विधि को लागू कर पहाड़ के खेतों को यूरिया के नुकसान से बचाया जाएगा। इससे न तो पर्यावरण को नुकसान होगा और न ही खेत खराब होंगे। जैविक खेती की दिशा में यह एक बड़ा प्रयास होगा। डा. कपूर ने बताया कि इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप से सिंचाई वाले क्षेत्रों में प्रयोग में लाया जाएगा। 10 लीटर पानी में एक लीटर यूरिन मिक्स करके छिड़काव किया जा सकता है या सिंचाई के दौरान खेत के मुहाने पर कूहल के पानी में मिश्रित कर इसे प्रयोग किया जा सकेगा। इस माध्यम से यह पूरे खेतों तक फैल जाएगा। उन्होंने बताया कि पब्लिक यूरिन एकत्रित करने के लिए पब्लिक टायलट में टैंक लगाकर एकत्रित किया जाएगा। यूरिया से बुरी तरह प्रभावित हो रही खेती को बचाने  और इससे पर्यावरण को हो रहे नुकसान से बचाव को प्रदेश में अनोखी पहल होने जा रही है। प्रदेश सरकार अगामी बजट में इस महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं को राज्य में लागू करने के लिए बजट में प्रावधान करेगी। शौचालयों से यूरिन को छोटी टंकियों के माध्यम से कैच कर प्रयोग में लाया जाएगा। सरकार प्रारंभिक दौर में इस महत्त्वाकांक्षी एवं अनोखी योजना को कृषि प्रधान क्षेत्रों में लागू करेगी। इससे यूरिया से खराब हो रही भूमि को बचाया जा सके। इस योजना को ग्रामीण स्तर पर लागू करने के लिए भी विशेष प्लान के तहत काम किया जाएगा।  इससे किसान अपने घरों या गांव में सर्वाजिनक शौचालय बनाकर इस योजना का लाभ ले सकें। इससे न केवल यूरिया का पर्पज हल किया जाएगा, बल्कि शौचालयों की साफ सफाई व इनके रखरखाव करने में भी आसानी होगी। लोग स्वयं भी इस दिशा में पहल करेंगे और खेती में प्रयोग के चलते इस सारी व्यवस्था के मायने बदल जाएंगे।


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