इटली के सेब-नाशपाती भरेंगे जेब

By: Feb 3rd, 2018 12:01 am

कुल्लू-सिरमौर में पहुंचे विदेशी फलों के पौधे, बागबानों को होगा लाभ

कुल्लू – हिमाचल के बागबान अब इटली के सेब और नाशपाती की किस्मों से अपनी तकदीर बदल सकेंगे। कम समय में तैयार होने वाले ये पौधे गुणवत्ता और उत्पादन के लिहाज से भी बेहतर विकल्प बताए जा रहे हैं। बागबानी विभाग ने इटली से दोनों फ लों के पौधों की खेप मंगवाई थी, जो प्रदेश के जिला कुल्लू और सिरमौर में पहुंची गई है। इसी माह पौधे ब्लॉक स्तर पर आबंटित किए जाएंगे। आधुनिक किस्म के इन पौधों की बागबान ग्राफ्टिंग कर अपनी पौध भी तैयार कर सकेंगे। जल्द तैयार होने से इस किस्म के सेब के मार्केट में भी बागबानों को अच्छे दाम मिलेंगे। ये किस्में शुरू से ही लाल रहती हैं। इसमें कलर-स्प्रे करने की जरूरत नहीं पड़ती। मार्केट में भी लाल सेब की ज्यादा मांग रहती हैं। जानकारी के अनुसार  प्रदेश में 4000 से 6000 फ ुट की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब की परंपरागत रेड डिलीशियस किस्म रॉयल में पूरा रंग नहीं आता है। यह फ सल भी देरी से देती है, जबकि इटालियन सेब की किस्म का पौधा तीन साल में फल देना शुरू कर देता है। इसके अलावा इन पौधों में हर साल अच्छी फसल होती है। इस किस्म के पौधों के लिए बागबानों को पसीना नहीं बहाना पड़ता है। बागबानी अनुसंधान केंद्र बजौरा में शेल्ट स्पर, फ ीट गाला, वकाई गाला जेरमाइन, रेड बिलोक्स व सुपरचीफ आदि किस्में प्रमुख होती हैं। इन पौधों की उम्र 20 साल से अधिक होती है। बागबानी अनुसंधान केंद्र बजौरा में इटली के सेब का बगीचा तैयार हो गया है। वहीं, बीते वर्ष भी बागबानी अनुसंधान केंद्र में 11 से अधिक पौधे इटली के सेब के आए थे। बागबानी अनुसंधान केंद्र की जानकारी के मुताबिक इस बार 40 हजार के करीब सेब के पौधे पहुंचे हैं। वहीं, एक हजार के करीब नाशपाती के पौधे भी पहुंच गए हैं।

आबंटित करें पौधे

जिला कुल्लू के बागबान कई दिनों से इन विदेशी पौधों का इंतजार कर रहे थे। ऐसे में बागबानों ने विभाग से जल्द पौधे आबंटित करने की गुहार लगाई है, ताकि समय पर पौधे रोपित किए जा सकें।


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