कावेरी जल विवाद पर फैसले से नई उम्मीदें

By: Feb 17th, 2018 12:10 am

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से बीबीएमबी मसला सिरे चढ़ने के आसार बढ़े

शिमला— सुप्रीम कोर्ट द्वारा कावेरी जल विवाद पर दिए गए ऐतिहासिक फैसले के बाद हिमाचल को भी बीबीएमबी मामले के सिरे चढ़ने की उम्मीदें जवां होने लगी हैं। अरसे से यह मामला लटका पड़ा है, जिसमें 7.19 फीसदी की दर से हिस्सेदारी देय है। हालांकि एक बार सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल के पक्ष में फैसला भी सुनाया, मगर पड़ोसी राज्य फिर से नहीं मानें। नतीजतन हिमाचल को फिर से अपील में जाना पड़ा है। क्योंकि केंद्र ने दो बार इस मसले पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा था कि यह अंतरराज्यीय मसला है। राज्य सरकारें खुद सुलझाएं। तत्कालीन ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने इस मसले पर यही टिप्पणी की थी जब वह मीडिया से सीधे संवाद में जुड़े थे। यह मौजूदा मोदी सरकार के ही ऊर्जा मंत्री रहे पीयूष गोयल की त्वरित टिप्पणी थी, जब वह टेलिकान्फ्रेंसिंग के जरिए विभिन्न प्रदेशों से जुड़े थे। यही नहीं, इससे पहले भी केंद्र से हिमाचल हस्तक्षेप का आग्रह करता रहा है, मगर न तो यूपीए-1, यूपीए-2 व अब मोदी सरकार ने इस पर कोई गंभीरता दिखाई। अब उम्मीदें हैं कि जिस तरह से कर्नाटक व तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय ने दोटूक फैसला दिया है और केंद्र को फरमान सुनाया है कि वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। उससे प्रदेश को भी आस बंधी है। केंद्र में भाजपा नीत सरकार है, जिसकी मदद यहां ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए ली जा सकती है। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने भी बीते दिनों कहा था कि पंजाब से बीबीएमबी में हिमाचल की हिस्सेदारी को लेना उनकी प्राथमिकता रहेगी। पंजाब से करीब 2900 करोड़ रुपए की राशि ली जानी है। हालांकि बिजली का शेयर मिलना शुरू हो चुका है, परंतु पैसा नहीं मिल पाया है। ऐसे में पंजाब या तो हिमाचल को पैसा दे या फिर कोई दूसरी व्यवस्था करे। इस मुद्दे पर भाजपा व कांग्र्रेस में सियासत गरमाती रही है।


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