क्यों दम तोड़ रहे रिश्ते

By: Feb 18th, 2018 12:15 am

अकसर बच्चे गलती करते हैं और बच्चों की गलती सुधारने के लिए इस दुनिया में माता-पिता होते हैं, बच्चे की पहली पाठशाला भी माता-पिता ही होते हैं, जहां से बच्चा शिष्टाचार सीखता है। माता-पिता वह पथ प्रदर्शक हैं, जो हमें हर गलत काम करने से रोकते हैं और हमें सही राह दिखाते हैं, लेकिन  क्या माता-पिता आज के युग में सही पाठशाला बन रहे हैं। किसी गलती की सजा इतनी बड़ी हो सकती है कि कोई अपना पिता धर्म छोड़कर इनसानियत ही भूल जाएं और बच्चे के साथ ऐसा व्यवहार करें कि बच्चा सीख के बजाय उसी मार्ग पर चले जिस क्रूरता के मार्ग पर पिता है।

इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा एक वीडियो,  जिसमें पिता की बर्बरता साफ तौर पर देखने को मिल रही है। राजस्थान के राजसमंद जिले का वीडियो है।  इस वीडियो में हैवान पिता कथित तौर पर अपने दो मासूम बच्चों की बेरहमी से पिटाई कर रहा है, तो वहीं आरोपी अपनी मासूम बेटी की भी बेरहमी से बैंत से पिटाई कर रहा है।  एक दो साल का लड़का अर्र्द्धनग्न हालत में रस्सी के सहारे फंदे पर झूल रहा है। फंदा उसके गले में है और उसने अपने हाथों से रस्सी को पकड़ रखा है। पास ही में उसकी बच्ची उम्र करीब डेढ़ से दो साल की, खड़ी है और जल्लाद बन चुका पिता उसे भी बैंत से पीटने लगता है। वह मासूम की इस कद्र पिटाई करता है कि वह बच्ची वहीं पेशाब कर देती है। हैवान पिता का दिल इतने में भी नहीं पसीजता है और वह एक बार फिर दोनों को बुरी तरह पीटने लगता है।

 निर्दयी समाज का एक और वाकया सामने आया था, जिसमें पिता की बर्बरता के स्थान पर एक पुत्र की निर्दयता देखने को मिली थी। यह वाकया गुजरात के राजकोट शहर का था, जहां एक कलियुगी बेटे ने अपनी बीमार मां से छुटकारा पाने के लिए उन्हें चौथी मंजिल से फेंक दिया। आरोपी पेशे से प्रोफेसर है। इस मामले की जब पुलिस ने जांच शुरू की और वहां लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले, तो जो सामने आया उसे देखकर पुलिसवाले भी दंग रह गए। अब आरोपी जेल की सलाखों के पीछे है। इसी तरह कर्नाटक राज्य के बंगलूर, जो कि एक आईटी सिटी भी है, से एक ऐसा मामला सामने आया है। सोचने वाली बात है कि एक पिता जो अपने बेटे को जन्म देता है, जिसे कंधे पर बैठाकर घुमाने में गर्व की अनुभूति महसूस करता है, वहां लापरवाह होकर पिता कैसे  राक्षस बनकर इतनी बुरी तरह से मार सकता है कि नौबत उसकी जान जाने तक की आने लग जाए। वहीं एक पुत्र अपनी जन्मदात्री मां के प्राण लेने के लिए जरा भी संकोच नहीं करता है। जिस बेटे को जिन हाथों ने खिलाया, छाती से लगाकर दूध पिलाया, खुद गीले में सो कर उसे सूखे में सुलाया, वही बेटा हैवानियत की सारे हदें लांघकर इतना बेगैरत हो जाता है कि अपनी मां के बेरहमी से प्राण ही ले लेता है। यकीकन ! आज देश के अलग-अलग राज्यों से ऐसी घटनाएं रोज देखने और सुनने में आ रही हैं। सोशल मीडिया पर उन्हें खूब वायरल भी किया जा रहा है। हर कोई ऐसी निर्दयता और हैवानियत को देखकर दंग व हैरान हो रहा है।

इसलिए संवेदनहीन समाज के तथाकथित सभ्य लोग किसी दुर्घटना में घायल हुए इनसान को बचाने की बजाय अपने पर्सनल स्मार्ट फोन से वीडियो बनाना ज्यादा जरूरी समझते हैं। ऐसी घटनाएं निरंतर बढ़ती जा रही हैं तो हमारे देश और सभ्य समाज के लिए सबसे बड़ा संकट हमें आधुनिकता के व्यूह में फंसे अपने रिश्तों, मर्यादाओं और दायित्वों को सुरक्षित बचाकर उन्हें जिंदा रखने की महती आवश्यकता है।

— देवेंद्रराज सुथार


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