छह बार के सीएम क्यों रिपीट नहीं करवा पाए सरकार

By: Feb 21st, 2018 12:08 am

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू का वीरभद्र सिंह पर पलटवार; झूठ बोलते हैं पूर्व मुख्यमंत्री, सियासत में विरोध करना बन चुका है स्वभाव

शिमला— प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू ने वीरभद्र सिंह पर पलटवार करते हुए कहा है कि वह भले ही आदरणीय हैं, पर झूठ बोलते हैं। उन्होंने कभी यह अध्ययन नहीं किया कि 1998 में भाजपा सत्ता में कैसे आई। पूर्व सीएम ने हमेशा सत्ता में रहकर राजनीति की, वह पावर ड्रिवन पोलीटिशियन हैं। उनकी पूरी राजनीति कांग्रेस में रहकर खुद को मजबूत करने की रही है। विधानसभा चुनाव 2017 में उनके अहम के कारण ही कैबिनेट मंत्री अनिल शर्मा, एसोसिएट विधायक बलबीर वर्मा, पूर्व मंत्री मेजर विजय सिंह मानकोटिया व पूर्व मेयर मधु सूद इत्यादि ने कांग्रेस छोड़ी, जबकि कांग्रेस कार्यकर्ता सरकार की कार्यप्रणाली से दुखी होने के बावजूद पार्टी छोड़कर नहीं गए। बकौल सुक्खू उन्होंने कार्यकर्ताओं को पार्टी के साथ बांधे रखा। उनके नेतृत्व में कांग्रेस मजबूत हुई है। ग्राम स्तर से लेकर प्रदेश में संगठन खड़ा किया। युवा शक्ति को आगे लाए और अनुभव को तरजीह दी, इस कारण ही वीरभद्र सिंह उनका विरोध कर रहे हैं। वैसे भी विरोध करना उनका स्वभाव बन गया है। बीते 35-40 साल से वह विरोध की ही राजनीति करते आ रहे हैं, चाहे वह विरोध ठाकुर रामलाल का हो, पंडित सुखराम का, विद्या स्टोक्स का, आनंद शर्मा, कौल सिंह ठाकुर, नारायण चंद पराशर का या फिर उनका। वीरभद्र सिंह छह बार सीएम रहे, लेकिन सत्ता में रहते हुए एक बार भी प्रदेश में कांग्रेस सरकार को रिपीट नहीं कर पाए। चुनावों में हार-जीत लोकतंत्र का हिस्सा है, यह सच्चाई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में आपके हाथ में कमान दी थी, सीएम का चेहरा भी घोषित कर दिया, फिर कांग्रेस दोबारा सरकार क्यों नहीं बना पाई। यह भी प्रदेश का इतिहास बन गया है कि जब-जब वीरभद्र सिंह सीएम रहे और उनके नेतृत्व में दोबारा चुनाव हुआ, कांग्रेस को हार का ही मुंह देखना पड़ा। वह उन पर हार का ठीकरा नहीं फोड़ सकते। चूंकि बीते लोकसभा चुनाव में चारों उम्मीदवार उनकी मर्जी के थे, फिर भी सभी सीटें हारी। सुजानपुर व भोरंज विधानसभा उपचुनाव में उनकी पसंद के उम्मीदवारों को हार मिली। यहां तक कि शिमला नगर निगम चुनाव में शिमला ग्रामीण के तीनों वार्ड में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 56 टिकट उनकी मर्जी से बांटी गईं, जबकि जीत मात्र 15 पर मिली। संगठन के कोटे में तो सिर्फ 12 टिकट मिले और उसमें से छह उम्मीदवार जीतकर विधायक बने। इन सीटों पर कांग्रेस 30 साल से हार रही थी। सुक्खू ने कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस चारों सीटों पर न केवल भाजपा को कड़ी टक्कर देगी, बल्कि जीत भी दर्ज करेगी। इसके लिए वीरभद्र सिंह को भी बयानबाजी से बचकर संगठन के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरना होगा।

प्रदेशाध्यक्ष ने वीरभद्र सिंह से

पूछे सवाल

  1. यह कहां का न्याय है, कांग्रेस के कार्यक्रमों में वीरभद्र सिंह कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की आलोचना करते हैं, जबकि भाजपा के सीएम की तारीफ।
  2. हर चुनाव सीएम रहते आपकी अध्यक्षता में हुआ। गवर्नेंस चुनाव में बड़ा मुद्दा रहती है, सरकार के काम पर वोट पड़ता है, फिर संगठन को दोष क्यों।
  3. किसी एक व्यक्ति पर हार का ठीकरा फोड़ना ठीक नहीं है। सरकार तो आपके नेतृत्व में पांच साल चली। क्या बिटिया प्रकरण व होशियार सिंह हत्याकांड ने सरकार की साख पर बट्टा नहीं लगाया। क्या इसका नुकसान कांग्रेस को चुनाव में नहीं हुआ।
  4. राहुल गांधी की मंडी रैली में आया राम, गया राम कहकर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम की बेइज्जती की , जिससे वह और उनके मंत्री पुत्र कांग्रेस छोड़ गए। कौल सिंह को उचित मान-सम्मान नहीं दिया। क्या इससे मंडी की सभी दस सीटें नहीं हारीं।
  5. आप कांग्रेस सरकार की छवि जनता के दिल में जनहितैषी बनाने में कामयाब क्यों नहीं हुए। भाजपा आपकी पावर में हिमाचल में सत्तासीन कैसे हुई।


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