डढ़ई में फागली उत्सव आज से
कुल्लू – देवभूमि कुल्लू में देव परंपराओं का बखूबी निर्वहन किया जाता है। इसी कड़ी में जिला के डढे़ई में 12 फरवरी को बर्फ के आसन पर फागली उत्सव की परंपरा को निभाया जाता है। इस दौरान उपस्थित श्रद्धालु भी बर्फ में देवभक्ति करेंगे। इस अवसर पर पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी देवभारथा सुनेंगी। धार्मिक नगरी मणिकर्ण घाटी के आराध्य देवी-देवता फाल्गुन संक्रांति को स्वर्ग प्रवास से वापस लौटेंगे। घाटी के मंदिरों में इस दिन फ ागली समारोह का आयोजन किया जाएगा। घाटी के अन्य देवी-देवताओं के फागली समारोह की देवरीत उनके मंदिरों के भीतर होगी। लेकिन, डढे़ई गांव के आराध्य देवता सुननारायण, देवता मकाल और अठारहपेड़े का विशेष फागली उत्सव खुले आकाश के नीचे बर्फ पर होगा। बता दें कि 11 फरवरी को माता कैलाशना के सम्मान में डढे़ई फागली उत्सव मनाया जाएगा। माता कैलाशना सबसे पहले स्वर्ग प्रवास से लौटती हैं। माता के आगमन से मणिकर्ण घाटी में फागली उत्सव का आगाज होता है। 12 फरवरी को देवता सुननारायण के सम्मान में डढे़ई में ही बड़े फागली उत्सव को मनाया जाएगा। इसके बाद 13 फरवरी को मतेउड़ा में देवता कालीनाग के दर पर फागली उत्सव को मनाया जाएगा। यहां पर देवता कालीनाग का गूर देवभार्था सुनाएंगे, लेकिन इस बार देवता के पास चेला नहीं होने पर देवभार्था तो नहीं होगी। परंपरा को फिर भी देव रिवायत अनुसार निभाया जाएगा। फागली उत्सव को लेकर देवताओं के हारियानों के साथ ही अन्य श्रद्धालु भी से तैयारियों में जुटे हैं। देवता के तरह-तरह के कार्यक्रमों की भी पूछ डाली जाएगी।
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