डाबर कंपनी प्रदेश को हर साल देगी 35 लाख

By: Feb 20th, 2018 12:01 am

जड़ी-बूटियां सहेजने पर लोगों को मिलेगा पैसा

शिमला – हिमाचल प्रदेश की जैव विविधता को सहेजने वाले गांव के लोगों को भी अब उसका मुनाफा मिलेगा। निजी कंपनियां, जो कि प्रदेश से जड़ी-बूटियां एकत्र करती हैं, वह अपने मुनाफे में से कुछ हिस्सा बायो डाइवर्सिटी बोर्ड के माध्यम से गांव को देंगी। राज्य में जड़ी-बूटियों को सहेजने के लिए गांव स्तर पर बायो डाइवर्सिटी मैनेजमेंट कमेटियों का गठन किया जा रहा है। सरकार जल्दी ही एक नामी कंपनी डाबर के साथ भी समझौता करने जा रही है। निजी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियां हिमाचल से बड़े पैमाने पर जड़ी-बूटियां एकत्र करती हैं, जिनके मुनाफे को गांव में भी बांटा जाएगा। ये पैसा वहां के विकास और जड़ी-बूटियों के संरक्षण में काम आएगा। डाबर नामक कंपनी से सरकार जो समझौता कर रही है, उसके तहत वह 35 लाख रुपए सालाना बायो डाइवर्सिटी बोर्ड को देगी, जिसका हिस्सा ग्रामीण कमेटियों को दिया जाएगा। सोमवार को शिमला में स्टेट बायो डाइवर्सिटी बोर्ड द्वारा एक वर्कशॉप का आयोजन करवाया गया, जिसमें स्टेक होल्डरों के साथ जैव विविधता के संरक्षण पर चर्चा की गई। यहां बाहर से भी विशेषज्ञ पहुंचे थे, जिनका कहना था कि हिमाचल में बड़ी मात्रा में विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियां हैं, जिनको सहेजने के लिए प्रयास होने चाहिएं। उन्होंने कहा कि पहाड़ों पर अमृत के समान बूटियां मिलती हैं। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंच मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव एवं सचिव पर्यावरण मनीषा नंदा ने कहा कि चार जिलों में बायो डाइवर्सिटी मैनेजमेंट कमेटियां बनाई गई हैं, जहां पर पिछले साल से प्रयास चल रहे हैं। इस साल चार और जिलों को राष्ट्रीय अभियान में जोड़ा जा रहा है। पहले कुल्लू, चंबा, सिरमौर व शिमला में ये अभियान चला और इस साल किन्नौर, लाहुल-स्पीति, मंडी व कांगड़ा को शामिल किया जाएगा। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि उद्योगों  से निकलने वाली गंदगी को वैज्ञानिक तरीके से उन्हें निपटाना चाहिए,जिसके लिए कानून भी बने हैं, जो उद्योग ऐसा नहीं करते उनपर सख्ती बरती जाएगी। स्टेट बोर्ड के सदस्य सचिव कुनाल सत्यार्थी ने कहा कि बोर्ड ने सभी उद्योगों की एक सूची तैयार की है जो कि जड़ी-बूटियां लेती हैं। अगले महीने उनके साथ  बातचीत की जाएगी और कानूनी प्रावधानों को बताया जाएगा। उन्होंने कहा कि जड़ी-बूटियों की मार्केटिंग के लिए भी बोर्ड विशेष प्रावधान आने वाले समय में करेगा। इस राज्य स्तरीय वर्कशॉप में नेशनल बायो डाइवर्सिटी अथारिटी से डा. ईश्वर पूजर, प्रो.पीएल गौतम भी पहुंचे थे। उनके अलावा स्टेट बोर्ड के विशेषज्ञों ने भी अपने विचार रखे। जैव विविधता के संरक्षण को लेकर पूरा दिन यहां मंथन का दौर चलता रहा।

हर पंचायत को एक लाख

संरक्षण के लिए पहले चार जिलों की प्रत्येक पंचायत को एक-एक लाख रुपए की मदद दी गई थी और वहां पर कमेटियां बनाई गईं,जिसका बेहतर रिस्पांस मिला है। पंचायत स्तर पर प्रत्येक परिवार को इस अभियान के साथ जोड़ा जाएगा।


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