तांदी में हुआ था द्रौपदी का दाह संस्कार

By: Feb 28th, 2018 12:05 am

लाहुल के लोगों के लिए तांदी का महत्त्व वैसा ही है, जैसा हिंदुओं के लिए हरिद्वार। एक अन्य विश्वास के अनुसार महाभारत की द्रौपदी का दाह संस्कार यहां किया गया था। इस स्थान को तनदेही भी कहा जाता है (वह स्थान, जहां व्यक्ति अपना शरीर त्याग करता है)…

तांदी

यह चंद्र और भागा नदियों के संगम पर स्थित है एक पौराणिक कथा के अनुसार चंद्रमा की बेटी ‘चंद्रा’ और सूर्य का बेटा ‘भागा’ दो प्रेमी थे। अपनी सनातन शादी को मनाने के लिए उन्होंने बारालाचा-ला पर चढ़ने का निर्णय किया और वहां से वे विपरीत दिशाओं में भागे। चुस्त फुर्त होने के कारण चंद्रा ने दर्रे के नीचे आसानी से अपना रास्ता ढूंढ लिया और तांदी पहुंच गई। जल्दी ही भागा ने भी तंग खड्डों का संघर्ष करते हुए तांदी का रास्ता ढूंढ लिया, जहां अंततः दोनों मिले और दिव्य विवाह संपन्न हुआ। लाहुल के लोगों के लिए तांदी का महत्त्व वैसा ही है, जैसा हिंदुओं के लिए हरिद्वार। एक अन्य विश्वास के अनुसार महाभारत की द्रौपदी का दाह संस्कार यहां किया गया था। इस स्थान को तनदेही भी कहा जाता है( वह स्थान, जहां व्यक्ति अपना शरीर त्याग करता है)। ऐतिहासिक आलेख कहते हैं कि इस स्थान का संस्थापन चांदी के नाम से राजा चांद राम ने किया था, कालांतर में यही नाम विकृत होकर तांदी बन गया।

ताबो

स्पीति के दाहिने किनारे पर ताबो नाम का एक प्राचीन गांव दोनों ओर से सूर्य से झुलसी हुई उन्नत भूरी पहाडि़यों से पुष्ट, सबसे प्रसिद्ध बौद्ध मठों में से एक  शेरलंग का स्थान है। डुमांग,चंबा, चिब्बो, डोमलंग के गोम्पा तिब्बत में थोलोंग गोम्पा के बाद माने जाते हैं। 10वीं शताब्दी में इस ताबो मठ में 60 से अधिक लामा, बहुत संख्या में धार्मिक ग्रंथ,  कला कृतियां और दीवारी चित्र हैं, तनखास व स्टको उपलब्ध  हैं।

सुकेती जीवाश्म पार्क

यह जिला सिरमौर में स्थित है। इसमें प्रागैतिहासिक काल के पशुओं के आदम कद के  फाइबर ग्लास के प्रतिरूप, जिनके जीवाश्म, हड्डियों के ढांचे खुदाई में मिले हैं, यहां दर्शाए गए हैं। यह एशिया में अपनी  किस्म का पहला पार्क है, जो उस जगह विकसित किया गया है, जहां खुदाई में जीवाश्म खोजे गए थे। यह नाहन से 21 किलोमीटर की दूरी पर मार्कंडा नदी के बायें किनारे पर स्थित है। पार्क में वर्तमान में आदम कद प्रतिरूपों के 6 समूह हैं। ये हैं- प्रलुप्त बड़ा हाथी, 6 काटने वाले चौड़े दांतों वाले दरियाई घोड़े, जमीन पर रहने वाला विशाल कछुआ, तलवार जैसे दांत वाले शेर, मगरमच्छ ये पशु एक समय यहां रहते फलते-फूलते थे। सुकेती की रचना में स्तनधारी जीवाश्मों का संग्रह विश्व के सबसे समृद्ध संग्रहों में से एक है। इन जीवाश्मों के अध्ययन करने वालों को प्रागैतिहासिक काल के जीवन और विकास के रहस्यों की छानबीन करना संभव हो सका है और लगभग 85 लाख वर्ष पूर्व के जलवायु का पता लगाया जा सकता है।


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