पुराने अवैध कटान के मामले आएंगे सामने

By: Feb 1st, 2018 12:05 am

करसोग  — वन मंडल करसोग के वन खंड तत्तापानी क्षेत्र में बेशकीमती वन संपदा खैर का अवैध कटान सामने आने पर तगडा हडकंप मचा हुआ है। विभाग के उच्च अधिकारी जहां मामले से संबंधित निरंतर जानकारी मांग रहे हैं। वहीं, गत दिनों मिली शिकायतों के आधार पर अवैध खैर कटान की जांच को लेकर एक कमेटी भी गठित की जा चुकी है। इसमें वन मंडलाधिकारी राज कुमार शर्मा के अनुसार गठित जांच कमेटी हर तीसरे दिन अपनी पूरी रिपोर्ट कार्यालय को देगी कि कहां-कहां अवैध खैर के पेड़ कटे हैं तथा क्या कार्रवाई हुई है। खैर के ट्रक जब तक तत्तापानी क्षेत्र से रवाना होने हैं तब तक अस्थाई रूप से जांच चैक पोस्ट स्थापित की जानी चाहिए ताकि रात-बरात मनमर्जी से जाने वाले ट्रक पकडे़ जा सकें। कितनी खैर किस ट्रक में जा रही है इसके पुख्ता तथ्य चैक पोस्ट पर दर्ज हों तथा बेशकीमती खैर आगामी क्षेत्रों में भी चैक पोस्ट से गुजरते हुए निकले ताकि गड़बड़ होने  की गुजांइश खत्म हो सके। हैरानी की बात है कि इस साल खैर की लकड़ी ठेकेदारों के माध्यम से लगभग 25 सौ रुपए फुट के हिसाब से खरीदी जा रही है व सैकड़ों क्विंटल खैर निजी भूमि से निकालने संबंधी कागजों में बताया जा रहा है। हकीकत यह है कि खैर की लकड़ी कई स्थानों पर निजी भूमि की आड़ में सरकारी जंगलों से अवैध कटान करते हुए तथ्य सामने आ रहे हैं, जिसमें खैर के पेड़ कत्ल करते हुए कुछ स्थानों पर ठूंठ भी उखाड़ दिए गए हैं ताकि कोई सबूत ही न बचे। वन विभाग के संबंधित क्षेत्रों में तैनात कर्मचारी आंखें मूंदकर जंगलों की बर्वादी का तमाशा देख रहे हैं। वन विभाग को खैर लकड़ी की रॉयल्टी क्ंिवटल के हिसाब से राजस्व के रूप में प्राप्त होती है परंतु नियमों को ताक पर रखते हुए तत्तापानी क्षेत्र में  ठेकेदारों ने जो अपने कई डिपो बना रखे हैं वहां पर राशन की दुकान वाला कांटा किनारे पर पड़ा मात्र दिखाने के लिए रखा हुआ है। हजारों क्विंटल खैर ठेकेदार के ट्रकों में वन विभाग द्वारा अंदाजे से ही डाली गई जो सीधे रूप में किसी घोटाले के संकेत हैं या फिर मिलीभगत का नतीजा है। पारदर्षिता यह होनी चाहिए कि खैर का ट्रक लादने के बाद किसी बड़े धर्म कांटा पर तोला जाना चाहिए तथा उसके आधार पर रॉयल्टी वसूली जानी चाहिए। खैर कटान वाले मामले में एक और रौचक बात यह भी सामने आ रही है, जिसमें निजी भूमि मालिकों द्वारा अपनी भूमि पर खैर के पेड़ बताते हुए राजस्व विभाग के पास निशानदेही के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन उसमें भी सारी निशानदेही आनन-फानन में पूरी कर दी गई, जबकि यह प्रक्रिया महीनों बाद पूरी होती है। जो शपथ पत्र सत्यापित करवाए गए हैं उनकी सत्यता भी सवालों के दायरे में है। इसको लेकर भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का दावा करने वाली सरकार गौर करे व करसोग के तत्तापानी वन खंड में खैर के लुटेरों को पकड़ने के लिए कड़ा रुख अपनाए।


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