प्राकृतिक आपदाओं के आगे असहाय मनुष्य

By: Feb 14th, 2018 12:04 am

यद्यपि प्राकृतिक आपदाओं के आगे मनुष्य अभी तक असहाय ही नजर आता है तथापि प्रतिदिन नए आविष्कारों  ने रास्ते अवश्य ही सुगम किए हैं। अब आपदा के दौरान नुकसान भी कम उठाना पड़ता है…

गतांक से आगे…

ऊपरी हिमालय खंड :

इसे  अल्पाइन पर्वतीय खंड भी कहा जाता है। इसमें चंबा की पांगी, लाहुल- स्पीति  और किन्नौर शामिल किए जा सकते हैं। यह हिमाचल प्रदेश का पूर्वी उत्तरी भाग है, जिसमें अधिकतम अनुसूचित जनजातियों के लोग बसते हैं।  इसमें जनसंख्या का घनत्व अति कम है और मुख्य आबादी समुद्रतल से 2400 मीटर से 3600 मीटर के बीच बसती है और वह भी सतलुज, चंद्रभागा स्पीति बास्पा आदि नदियों और उसकी सहायक घाटियों में। ये क्षेत्र सर्द ऋतु में बर्फ से ढके रहते हैं। लाहुल -स्पीति और पांगी का तो संपर्क ही तीन चार महीनों के लिए देश के शेष भागों से टूट जाता है। हिमाचल प्रदेश

का अल्पाइन खंड बीसवीं सदी के अंत तक आवागमन की दृष्टि से कठिनतम क्षेत्र रहा है, लेकिन अब सरकारी प्रयासों से व पनबिजली परियोजनाओं के निर्मार्ण से इस क्षेत्र का प्रदेश व देश के अन्य भागों से जुड़ाव बढ़ गया है। यद्यपि प्राकृतिक आपदाओं के आगे मनुष्य अभी तक असहाय ही नजर आता है तथापि प्रतिदिन नए आविष्कारों  ने रास्ते अवश्य ही सुगम किए हैं।

हिमाचल में दर्रे :

हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में अनेक दर्रे हैं। इन दर्रों का मौसम, पर्यावरण तथा आर्थिक दृष्टि से अपना एक महत्त्व है। इन दर्रों से युगों से व्यापार चलता रहा है और भेड़ – बकरियों सहित चरवाहे आते जाते रहे हैं।

-क्रमशः


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